Raebareli Baleshwar Temple

Raebareli Baleshwar Temple: सूर्य की गति के साथ बदलता है इस मंदिर पर लगा त्रिशूल, जानें इससे जुड़ी मान्यता

राजस्थान (डिजिस्ट डेस्क)। Raebareli Baleshwar Temple : भारत में कई ऐसे मंदिर (Raebareli Baleshwar Temple) मौजूद है जो पूरी दुनिया में अपनी बनावट, अनोखी मान्यताओ, अद्भुत चमत्कारों और कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। आपने कई ऐसे मंदिरों के बारे में सुना भी होगा और देखा भी होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में सुन आप भी हैरान रह जाएंगे।

इस शिव मंदिर की कुछ ऐसी मान्यताएं है या यूं कहे कि इससे जुड़ी कहानियां है जिसे सुनकर लोगों के मन में एक बार इस मंदिर को देखने की इच्छा जरूर होती है। जीं हां हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के रायबरेली में स्थित बल्हेमऊ गांव में बने बालेश्वर महादेव मंदिर की। 500 वर्ष पुराने इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर के गुंबद पर लगा त्रिशूल सूर्य गति के साथ बदलता रहता है। इस मंदिर को लेकर भक्तों में भी अटूट आस्था है।

 

Raebareli Baleshwar Temple

क्या है इस मंदिर से जुड़ी कहानी

इस शिव मंदिर (Raebareli Baleshwar Temple) से जुड़ी लोगों की मान्यता है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व बने इस मंदिर की जगह विशाालकाय जंगल हुआ करता था। इस जंगल में पास ही के गांव की गाय चरने जाया करती थी। एक बार उन्हीं गायों में से एक गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो उस गाय के मालिक को चिंता हुई। गाय के मालिक ने सोचा कोई उसकी गाय का दूध चोरी कर लेता है। इसी वजह से गाय ने कई दिनों से दूध देना बंद कर दिया है।

दूध चोर का पता लगाने के लिए गाय का मालिक गाय के पीछे पीछे जंगल तक गया और वहां झाड़ियों के पीछे छुप गया। तभी गाय के मालिक ने देखा कि गाय एक झाड़ी में चली गई और वहां बैठ गई। उसके थन से दूध की धारा बह रही है और वह धारा उसी स्थान पर जमीन में बने एक छेद में जा रही है। यह देख मालिक को काफी आश्चर्य हुआ और वह अपने घर आ गया।

 

Raebareli Baleshwar Temple

शिव जी ने मालिक को कराया अपने मौजूदगी का अहसास

इस घटना को देखने के बाद गाय के मालिक को काफी बैचेनी महसूस हो रही थी। किसी तरह वो सो गया और तभी स्वयं शिव भगवान ने उसे सपने में दर्शन दिए और कहा कि मैं उसी स्थान पर विराजमान हूॅ। जहां पर तुमने अपनी गाय को देखा था। मूर्ति पूजन के लिए एक मंदिर की स्थापना करवाओ। अगले ही दिन गाय के मालिक ने अपने परिवार को सारी बात बताई और उसके बाद उस स्थान पर खुदाई की गई। खुदाई के दौरान वहां पर शिवलिंग मिला जिसके बाद उस स्थान पर बालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया गया।

 

Raebareli Baleshwar Temple

 

सूर्य गति के साथ बदलता त्रिशूल

इस मंदिर से जुड़ी एक ओर मान्यता यह भी है कि इस मंदिर के ऊपर गुम्मद पर लगा त्रिशूल दिनभर सूर्य की गति के साथ अपने ही स्थान पर घूमता रहता है। इसके अलावा इस मंदिर (Raebareli Baleshwar Temple) परिसर में एक सरोवर भी बना हुआ है। जिसके बारे में कहा जाता है किस इस सरोवर में सभी तीर्थो का जल लाकर डाला गया था और जिससे भक्त महादेव  का जलाभिषेक करते है।बालेश्वर महोदव मंदिर में हर साल सावन के महीने में विशाल मेला का आयोजन किया जाता है। वहीं इस मंदिर को लेकर भक्तों में अटूट आस्था है। लोगों के अनुसार इस मंदिर में जो भी मनोकामनाएं मांगी जाती है भगवान उसे अवश्य पूर्ण करते है।

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