Rahul Gandhi: भारतीय राजनीति में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। उनकी नागरिकता को लेकर उठे सवालों ने कानूनी और राजनीतिक बहस को फिर से हवा दे दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय को चार हफ्ते के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। (Rahul Gandhi)यह मामला न केवल राहुल गांधी की सांसदी के लिए खतरा बन सकता है, बल्कि भारतीय राजनीति में भी एक बड़ा मोड़ ला सकता है।
याचिका में क्या आरोप लगाए गए हैं?
1 जुलाई 2024 को कर्नाटक के वकील और भाजपा सदस्य एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए। याचिकाकर्ता का दावा है कि राहुल गांधी केवल भारतीय नहीं, बल्कि ब्रिटिश नागरिक भी हैं।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 84(ए) का हवाला देते हुए कहा गया कि संसद सदस्य बनने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है। यदि राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता साबित होती है, तो उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए और उनकी सांसदी रद्द कर दी जानी चाहिए।
ब्रिटिश दस्तावेज और गोपनीय मेल का दावा
याचिकाकर्ता ने अदालत में यह भी दावा किया कि उनके पास ब्रिटिश सरकार द्वारा 2022 में भेजे गए गोपनीय ईमेल और दस्तावेज हैं, जो राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता को प्रमाणित कर सकते हैं। साथ ही, उन्होंने भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(2) का हवाला देते हुए राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की।
याचिका में यह भी कहा गया कि राहुल गांधी ने कथित तौर पर अपनी ब्रिटिश नागरिकता की जानकारी छुपाई, जो चुनावी प्रक्रिया में अनैतिक और गैरकानूनी है। इसी आधार पर उन्होंने रायबरेली लोकसभा सीट से उनके निर्वाचन को अमान्य घोषित करने की भी मांग की।
हाईकोर्ट का फैसला…गृह मंत्रालय को आदेश
गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट से राहुल गांधी की नागरिकता पर रिपोर्ट देने के लिए आठ हफ्ते का समय मांगा था, लेकिन हाईकोर्ट ने यह अनुरोध खारिज कर दिया। अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए सिर्फ चार हफ्ते का समय दिया और कहा कि गृह मंत्रालय को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर स्पष्ट निर्णय लेना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल 2025 को होगी, जिससे इस विवाद पर आगे की स्थिति साफ होगी।
सियासी हंगामा… भाजपा बनाम कांग्रेस
राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। भाजपा ने इस मुद्दे को बड़ा राजनीतिक हथियार बना लिया है और राहुल गांधी से स्पष्टीकरण की मांग कर रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि यदि राहुल गांधी वास्तव में ब्रिटिश नागरिक हैं, तो उन्हें देश की राजनीति में बने रहने का अधिकार नहीं है।
वहीं, कांग्रेस ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया और कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश है, जिसका मकसद राहुल गांधी को चुनावी रूप से कमजोर करना है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी पहले भी कई बार इस आरोप का खंडन कर चुके हैं और यह मामला महज राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उठाया जा रहा है।
राहुल गांधी ने 2024 के आम चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। इससे पहले वह अमेठी से चुनाव लड़ते आए थे, लेकिन 2019 में स्मृति ईरानी से हार गए थे। अब, यदि नागरिकता विवाद में कोई गंभीर प्रमाण सामने आते हैं, तो इससे उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है और उनकी सांसदी पर भी संकट आ सकता है।
क्या होगा आगे?
गृह मंत्रालय को 4 हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी। 21 अप्रैल 2025 को अगली सुनवाई में हाईकोर्ट अपना रुख स्पष्ट करेगा। यदि गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता साबित होती है, तो उनकी सांसदी खतरे में पड़ सकती है। इस मामले का असर 2029 के आम चुनावों तक दिख सकता है, क्योंकि यह राहुल गांधी की राजनीतिक विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। राहुल गांधी की नागरिकता का मुद्दा केवल कानूनी विवाद नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन चुका है।
यह मामला भारतीय राजनीति के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। अब सबकी नजरें 21 अप्रैल की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां तय होगा कि यह विवाद राहुल गांधी के राजनीतिक करियर पर क्या असर डालेगा और भारतीय राजनीति में नया मोड़ लाएगा या नहीं।
यह भी पढ़ें:
1990 से 2005 तक बिहार का हाल बेहाल, जंगलराज में सिर्फ मनोरंजन”….सम्राट चौधरी का RJD पर वार