Rajasthan Loksabha Election Details: राजस्थान की 12 सीटों पर कम मतदान के बाद कैसी है राजनीति की तस्वीर…
Rajasthan Loksabha Election Details: राजस्थान। राजस्थान में लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण मतदान जैसे ही पूरा हुआ तो सभी राजनीतिक दलों के बीच चिंता इसलिए बढ़ गयी क्योंकि मतदान की जो उम्मीद जताई जा रही थी वो उसी उम्मीद से भी कम हुए। ऐसे में पिछले लोकसभा चुनावों के मतदान के परिणामों के आधार पर अनुमान और आसार से राजनीति का बाज़ार खासा प्रभावित हो रहा है। कोई कह रहा है कि दलों को अगले मतदान के चरण में और ज्यादा मेहनत करनी होगी और किसी का मानना है कि वर्तमान सरकार से जनता की निराशा की वजह से ऐसा हुआ है।
भाजपा अभी भी निश्चिंत!, परंतु वोट के लिए कर रही आग्रह
भाजपा प्रथम चरण के मतदान के बाद अपना प्रचार का तरीका बदलती तो नज़र आ रही है परंतु बहुत बड़ा बदलाव नज़र नहीं आ रहा है। हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान स्टार प्रचारकों ने जनता से आग्रह करना शुरू कर दिया है कि वो इस बार ज्यादा से ज्यादा मतदान करें। खुद प्रधानमंत्री और वाराणसी से भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी मंच से इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि किसी को भी वोट दें परंतु लोकतन्त्र को मजबूत करने के लिए मतदान जरूर करें। भाजपा के प्रचार में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं होने को उनकी निश्चिंतता दिखाई दे रही है।
कम मतदान केंद्र सरकार की नीतियों का असर: काँग्रेस
राजस्थान के अलावा अन्य जगहों पर भी इस बात का जिक्र काँग्रेस कर रही है कि केंद्र सरकार और भाजपा की नीतियों से नाराज़ होकर ही जनता ने मतदान नहीं किया। राजस्थान पीसीसी चीफ और वर्तमान विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने एक मंच पर कहा कि प्रथम चरण के मतदान के बाद जनता ने भाजपा को जवाब दे दिया और भाजपा के उम्मीदवारों के चेहरे की उडी हुई हवाइयाँ इस बात का सुबूत है कि जनता ने भाजपा को वोट नहीं दिया है।
कम मतदान पर क्या कहते हैं राजनीतिज्ञ
राजनीतिज्ञों की मानें तो दो तरह की राय सामने आ रही है। पहली ये कि जब भी चुनाव में कम मतदान हुआ है तो उसका प्रभाव नकारात्मक हमेशा काँग्रेस पर पड़ा है, जबकि भाजपा को इसका फाइदा ही हुआ है। इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि केंद्र में जिसकी भी सरकार होती है उसे इसका फाइदा मिलता है। एक कयास ये भी है जिसमें ये माना जा रहा है कि जनता में जब रोष ज्यादा होता है तब मतदान का प्रतिशत बढ़ता है। इस बार मतदान कम हुआ है तो ये भाजपा के पक्ष में ज्यादा दिखाई दे रहा है।
राजस्थान की 12 सीटों पर मतदान
राजस्थान की 12 सीटों पर लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण का मतदान हुआ है। जो कि आंकड़ों को देख कर ही साफ हो गया है कि पिछले 3 चुनावों से इस बार सबसे कम मतदान हुआ है। राजस्थान की 12 सीटों पर गंगानगर – 66.25 प्रतिशत (सर्वाधिक), बीकानेर – 54.41 प्रतिशत, चुरू – 63.58 प्रतिशत, झूंझुनूं – 52.98 प्रतिशत, सीकर – 58.17 प्रतिशत, नागौर – 57.37 प्रतिशत, जयपुर शहर – 63.48 प्रतिशत, जयपुर ग्रामीण – 57.52 प्रतिशत, अलवर – 60.32 प्रतिशत, भरतपुर – 53.31 प्रतिशत, करौली – धौलपुर – 49.71 प्रतिशत, दौसा – 55.57 प्रतिशत सीटों पर मतदान हुआ। इन सभी सीटों पर पिछले चुनाव से कम ही मतदान हुआ है।
विधानसभा चुनाव से कम है मतदान का आंकड़ा
लोकसभा चुनाव 2024 के प्रथम चरण के राजस्थान में हुए 12 सीटों पर मतदान कम हुआ है। ये मतदान का आंकड़ा इतना कम है कि अभी बीते विधानसभा चुनाव का आंकड़ा भी नहीं छू सका। लोकसभा चुनाव में इन 12 सीटों के लोकसभा क्षेत्र में 96 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें विधानसभा में मतदान का 17 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। कई विधानसभा सीटों की गणना देखी जाए तो लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर विधानसभा के मतदान के मुक़ाबले 20 प्रतिशत से भी कम हुआ है।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान का अंतर
राजस्थान में लोकसभा चुनाव में विधानसभा से कम मतदान होने वाली सीटों में अगर बड़ा आंकड़ा देखा जाए तो लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में सबसे कम मतदान इन 12 सीटों में दौसा में ही हुआ था। परंतु करौली – धौलपुर सीट पर लोकसभा चुनाव के मुक़ाबले 24.09 प्रतिशत कम हुआ है। इसी के आसपास बीकानेर में भी 20.66 प्रतिशत मतदान विधानसभा चुनाव के मुक़ाबले कम देखने को मिला है।
कम मतदान दर्शाता है मतदाताओं की मंशा
मतदान कम होने को कई नजरियों से देखा जा रहा है। अगर राजनीतिक विश्लेषक महेश शर्मा के अनुसार ये जनता का सभी दलों को संकेत है। उनकी कही बात के अनुसार, उनका मानना है कि जनता इस बात से बड़ा इशारा कर रही है। जिसे समझने की जरूरत है। जनता हार – जीत से कहीं ज्यादा सतर्क इस बात को लेकर हो सकती है कि हार जीत किसी की भी हो परंतु इस हार जीत के बीच अंतर बहुत बड़ा नहीं रहे।
मुद्दों से नाखुश होकर किया कम मतदान?
एक पक्ष ये भी है कि राजस्थान की इन 12 सीटों पर मतदान इसलिए भी कम किया गया क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल जनता को अपने चुनावी वादों से रिझा नहीं सके। ये भी एक बड़ा कारण माना जा रहा हैं। अगर मुद्दों की बात की जाए तो भाजपा राम मंदिर का मुद्दा मुख्यतः रखती है और दूसरा गठबंधन के पास प्रधानमंत्री का चेहरा नहीं होना जनता के बीच रखती है। यहाँ नेतृत्व के लिए नरेंद्र मोदी और उनकी गारंटी वाला मुद्दा सर्वोपरि है। वहीं काँग्रेस स्थानीय वोट पाने के लिए जाति और भाजपा के राम मंदिर का श्रेय लेने का मुद्दा उठा रही है। विकास की बात सभी जगह कम नज़र आई। बाकी दलों में भी जाति का मुद्दा ज्यादा निकल कर आ रहा है। दूसरी तरफ स्थानीय नेता होने का फायदा दल बदलने के बाद भी मिलता दिखाई देता है।
राजस्थान की हॉट सीट पर भी कम हुआ मतदान
राजस्थान की हॉट सीट मानी जाने वाली नागौर सीट पर भी मतदान का प्रतिशत बहुत गिरा। जिसके पीछे जातिगत वोटों में कमी होना माना जा रहा है। अगर दोनों मुख्य दलों के उम्मीदवारों की ही बात की जाए तो उनके क्षेत्र में भी मतदान का प्रतिशत गिरा है। काँग्रेस – गठबंधन उम्मीदवार आरएलपी चीफ हनुमान बेनीवाल की खींवसर विधानसभा सीट पर 14.99 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। वहीं भाजपा की टिकट पर इस बार मैदान में ज्योति मिर्धा की विधानसभा सीट पर विधानसभा के मुक़ाबले, लोकसभा में 8.27 प्रतिशत कम मतदान हुआ है।
अभी बाकी है 6 चरणों का मतदान
लोकसभा चुनाव पूरे देश में चुनाव 7 चरणों में होना है। मतदान का एक चरण 19 अप्रैल को पूरा हो गया। 19 अप्रैल को 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। जिसमें मतदान के कम प्रतिशत से चुनाव आयोग की आने वाले मतदान के 6 चरणों के लिए चिंता बढ़ गयी। देश में अगला मतदान शुक्रवार 26 अप्रैल को होना है। वहीं तीसरे चरण, चौथे चरण, पांचवे चरण, छठे चरण और सातवें चरण का मतदान क्रमशः 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को होना है। इन सभी का नतीजा और इनके साथ कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव का भी परिणाम एक साथ 4 जून 2024 को ही आएगा।
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