Rajeev Chandrasekhar BJP: भारतीय राजनीति में बदलाव की बयार हमेशा नई रणनीतियों और सटीक फैसलों से बहती है। खासकर जब बात केरल जैसे राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण राज्य की हो, तो हर कदम गहरी योजना और दूरदर्शिता का संकेत देता है।
इसी रणनीति के तहत, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तकनीकी विशेषज्ञ से राजनेता बने राजीव चंद्रशेखर को केरल भाजपा अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है। (Rajeev Chandrasekhar BJP) यह कदम केवल एक संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और 2026 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की मजबूती की दिशा में एक बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है।
केरल में अब तक यूडीएफ और एलडीएफ के बीच सत्ता का सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है, लेकिन भाजपा इस द्विध्रुवीय राजनीति को तोड़कर खुद को एक प्रभावी विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहती है। इस फैसले के पीछे कई रणनीतिक कारण हैं, जो न केवल राज्य में भाजपा के विस्तार की योजना को दर्शाते हैं, बल्कि दीर्घकालिक राजनीतिक समीकरणों को भी नया मोड़ दे सकते हैं।
निर्णय कैसे लिया गया?
रविवार को तिरुवनंतपुरम में हुई भाजपा की कोर कमेटी बैठक में राजीव चंद्रशेखर को केरल भाजपा अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला लिया गया। इस बैठक में भाजपा के केरल मामलों के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर और लोकसभा सांसद अपराजिता सारंगी उपस्थित थे। सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया और इसकी आधिकारिक घोषणा सोमवार को कोवडियार स्थित उदय पैलेस कन्वेंशन सेंटर में की जाएगी, जहां केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी इसे सार्वजनिक करेंगे।
राजीव चंद्रशेखर की प्रतिक्रिया
राजीव चंद्रशेखर ने अपनी नियुक्ति पर खुशी और आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “मैं इस फैसले से खुश और चकित हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि केरल भाजपा के सहयोगियों ने मुझे इस पद के लिए उपयुक्त समझा।” 2024 के लोकसभा चुनाव में राजीव चंद्रशेखर ने तिरुवनंतपुरम सीट से कांग्रेस के शशि थरूर के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें 16,000 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उनके प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने चुनावी मैदान में देर से प्रवेश करने के बावजूद प्रभावशाली प्रचार किया और भाजपा को केरल में मजबूत स्थिति में लाने का काम किया।
जातीय और सामुदायिक समीकरण
राजीव चंद्रशेखर नायर समुदाय से आते हैं, जो केरल में एक प्रभावशाली ऊंची जाति मानी जाती है। पार्टी को उम्मीद है कि उनके नेतृत्व से हिंदू वोट बैंक को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, प्रमुख इझावा समुदाय के नेता वेल्लप्पल्ली नटेसन के साथ उनके अच्छे संबंध भाजपा और भारत धर्म जन सेना (BDJS) के गठबंधन को और मजबूत कर सकते हैं।
भाजपा ईसाई समुदाय को भी अपनी ओर आकर्षित करने पर ध्यान दे रही है। ईसाई, जो केरल की कुल जनसंख्या का 19% हैं, पारंपरिक रूप से कांग्रेस के समर्थक रहे हैं। लेकिन हाल के वर्षों में कांग्रेस और वाम मोर्चा (CPI-M) की नीतियों से नाराजगी के कारण भाजपा को इस समुदाय से समर्थन मिलने की संभावना है।
स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा की रणनीति
अक्टूबर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा नगर निगमों और पंचायतों में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। विशेष रूप से तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा के प्रदर्शन पर ध्यान दिया जाएगा। यदि भाजपा यहां जीत दर्ज करती है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव नेमम और कझकूट्टम विधानसभा सीटों पर भी पड़ेगा। हालांकि, राजीव चंद्रशेखर को भाजपा की केरल इकाई में मौजूद गुटबाजी से निपटना होगा। पार्टी के कुछ नेता उन्हें ‘बाहरी’ मानते हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “उन्हें पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का विश्वास जीतने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।”
भाजपा की राष्ट्रीय रणनीति
भाजपा केरल में अपने चुनावी अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य चेहरा बनाने की योजना बना रही है। पार्टी मानती है कि मोदी की लोकप्रियता और अमित शाह की रणनीति को राज्य स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो केरल में भाजपा की सफलता संभव हो सकती है। भाजपा को उम्मीद है कि राजीव चंद्रशेखर की तकनीकी विशेषज्ञ और उद्यमी की छवि के कारण केरल के शिक्षित युवा उनकी ओर आकर्षित होंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “केरल के लोग ऐसे नेताओं को पसंद करते हैं, जो शिक्षित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हों, जैसा कि हमने वी.के. कृष्ण मेनन और शशि थरूर के मामलों में देखा है।”
ईसाई समुदाय को जोड़ने की रणनीति
राजीव चंद्रशेखर के भाजपा अध्यक्ष बनने से ईसाई समुदाय के बीच भाजपा के प्रयासों को नई गति मिलेगी। उन्होंने अतीत में चर्च के प्रमुखों से मुलाकात की है। भाजपा मानती है कि गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में ईसाई समुदाय के बीच मिली सफलता को केरल में भी दोहराया जा सकता है। हालांकि, मणिपुर में जातीय संघर्ष के कारण भाजपा को इस मोर्चे पर कुछ झटके भी लगे हैं।
राजीव चंद्रशेखर तीन बार राज्यसभा सांसद रहे हैं और 2021 में मोदी सरकार में मंत्री बने थे। उन्होंने विभिन्न देशों में भारत की डिजिटल क्रांति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर चर्चा की है। हाल ही में, उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई, ब्राजील और वियतनाम सहित कई देशों का दौरा किया है और इथियोपिया, मलावी, और गाम्बिया की सरकारों से डिजिटल गवर्नेंस पर चर्चा की है।
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