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Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में आज से शुरू 7 दिनों तक अनुष्ठान, 22 जनवरी को होगी प्राण प्रतिष्ठा, जानिए पूरी खबर…

Ram Mandir Pran Pratishtha: उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra) के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने कहा कि मैसूर स्थित अरुण योगीराज द्वारा राम लला की एक नई मूर्ति को अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर में स्थापित करने के लिए चुना गया है और इसका उद्घाटन 18 जनवरी को किया जाएगा। फिलहाल श्रीराम को  आयोध्या लाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मंदिर परिसर को सजाया गया है. परिसर तैयार है और 140 करोड़ भारतीयों की नजर इस वक्त अयोध्या पर है. सड़कों पर कतार में खड़े भक्त बस उस पल का इंतजार कर रहे हैं जब रामलला के भव्य दर्शन होंगे. घड़ी पास है. केवल सात दिन ही बचे हैं…

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आपको बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा की तारीख 22 जनवरी 2024 तय की गई है और इसके लिए अनुष्ठान इस तय तारीख से पहले 16 जनवरी यानी आज से शुरू होने का तय किया गया है. 22 जनवरी यानी मंगलवार से सोमवार तक हर दिन एक विशेष अनुष्ठान होगा, जिसकी पूरी जानकारी सामने आ गई है. यूं कहें कि अब लोगों का इंतजार खत्म हो गया है और रामलला की अभिषेक प्रक्रिया शुरू होने वाली है। 16 जनवरी से भव्य मंदिर में श्री राम लला का अभिषेक कार्यक्रम और पूजा अनुष्ठान शुरू होगा, जबकि 18 जनवरी को रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में रखा जाएगा। राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित कार्यक्रमों का विवरण भी जारी किया गया है.

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तारीख और स्थान

पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी 2024 को भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ समय आ रहा है

शास्त्रीय प्रोटोकॉल और पूर्व अनुष्ठान

सभी शास्त्रोक्त प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। अभिषेक पूर्व समारोह की औपचारिकताएं 16 जनवरी से शुरू होंगी और 21 जनवरी, 2024 तक जारी रहेंगी।

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द्वादश अधिवास का प्रोटोकॉल इस प्रकार होगा…
  • 16 जनवरी: प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजा
  • 17 जनवरी: प्रतिमा का परिसर में प्रवेश
  • 18 जनवरी (शाम): तीर्थयात्रा, जल यात्रा और गंधाधिवास
  • 19 जनवरी (सुबह) : औषधिधिवास, केसराधिवास, धृतधिवास
  • 19 जनवरी (शाम): धान्याधिवास
  • 20 जनवरी (सुबह) : शकराधिवास, फलाधिवास
  • 20 जनवरी (शाम): पुष्पाधिवास
  • 21 जनवरी (सुबह): मध्याधिवास
  • 21 जनवरी (शाम): शैयाधिवास
अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य

आम तौर पर, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं, और व्यवहार में कम से कम तीन अधिवास होते हैं। 121 प्राचार्य समारोह करेंगे. श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ विधान की सभी कार्यवाहियों का पर्यवेक्षण, समन्वय, प्रबंधन और निर्देशन करेंगे और मुख्य आचार्य काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे।

विशेष अतिथि

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाकी महानुभावों की हाजरी में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

विविध प्रतिनिधित्व

आम तौर पर, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं, और व्यवहार में कम से कम तीन अधिवास होते हैं। 121 प्राचार्य अनुष्ठान करेंगे. श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ विधान की सभी कार्यवाहियों का पर्यवेक्षण, समन्वय, प्रबंधन और निर्देशन करेंगे और मुख्य आचार्य काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे।

ऐतिहासिक जनजातीय प्रतिनिधित्व

जनजातीय परंपराओं की उपस्थिति, जिसका प्रतिनिधित्व पहाड़ों, जंगलों, तटीय बेल्ट, द्वीपों आदि के लोगों द्वारा किया जाता है, भारत के हाल के इतिहास में पहली बार हो रही है। ये अपने आप में अनोखा होगा.

परंपराओं का समावेश

इन परंपराओं में शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पत्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम, शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माधव, विष्णु नामी, रामसनेही, घीसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीर शामिल हैं। इसके अलावा शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र, ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, पंजाब के नामधारी, राधास्वामी, और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव भी शामिल हैं.

दर्शन और उत्सव

गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने के बाद सभी साक्षी क्रमश: दर्शन करेंगे. श्री रामलला के अभिषेक का उत्साह हर तरफ देखने को मिल रहा है. इसे अयोध्या (Ayodhya) समेत पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाने का निर्णय लिया गया है. अनुष्ठान की तैयारियों के दौरान अलग-अलग राज्यों से लोग लगातार पानी, मिट्टी, सोना, चांदी, रत्न, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटियां, ड्रम, सुगंधित वस्तुएं आदि ला रहे हैं। इनमें से सबसे उल्लेखनीय मां जानकी के मायके से भेजे गए भरोस (बेटी के घर की स्थापना पर भेजे गए उपहार) हैं, जो जनकपुर (Nepal) और सीतामढी (Bihar) स्थित उनके मायके से अयोध्या (Ayodhya) लाए गए। प्रभु के मातृगृह रायपुर, दण्डकारण्य क्षेत्र से भी विभिन्न प्रकार के आभूषण आदि उपहार भेजे गए हैं।

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