राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Ram Mandir: अयोध्या में लंबे समय के इंतजार के बाद 22 जनवरी को रामलला (Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े अन्य कार्यक्रम की शुरूआत 16 जनवरी से हो चुकी है। 17 जनवरी को रामलला की चांदी की मूर्ति को मंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया और 18 जनवरी को उनकी मुख्य प्रतिमा को मंदिर के गर्भगृह में विधि विधान से स्थापित किया गया। मुख्य प्रतिमा के रूप में भगवान राम की 5 वर्ष के बाल्यस्वरूप को चयनित किया गया है। राम मंदिर के लिए राम भगवान की बाल्यकाल की प्रतिमा ही क्यों ही चुनी गई । इसके पीछे की वजह काफी कम लोग जानते है। तो आइए जानते है क्या है वो वजहः-
बाल रूप को चयन की वजह
अयोध्या राम भगवान की जन्मस्थली मानी जाती है। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों के द्वारा कई तरह के सुझाव दिए गए। पहले सदस्यों का सुझाव था कि मंदिर में श्रीराम के बाल रूप को ही रखना चाहिए जिसे देख महिलओं के अंदर ममता का भाव जागे। लेकिन यह रूप किस तरह से हो अर्थात डेढ़ साल से लेकर घुटनों के बल चलने वाला रूप हो उस पर चर्चा की गई। दरअसल ट्रस्ट्र के सदस्यों द्वारा अलग अलग सुझाव दिए गए। ट्रस्ट्र के कई लोग चाहते थे कि भगवान राम को पुरूष के स्वरूप में दिखाना चाहिए। जिसे देख देश के युवाओं में वीरता का भाव जागे और देश के धर्म रक्षा के लिए प्रेरित हो।
लेकिन चर्चा के अंत में सभी सदस्यों की सहमति बनी की राम मंदिर में श्रीराम के 5 वर्ष के बाल स्वरूप की मूर्ति स्थापित की जाएगी जो धनुष बाण से सुसज्जित हो। जिससे एक बच्चे के समान उनके मुख पर कोमलता और दिव्य दिखे तो वहीं धनुष बाण उनके विराट रूप की झलक दिखेगी। मूर्ति को देख जहां महिलाओं के मन में ममता का भाव जागेगा वहीं पुरूष को उनके पूर्ण रूप का आभास होगा। यहीं कारण है राम मंदिर के लिए ट्रस्ट द्वारा श्रीराम के 5 साल के बाल स्वरूप का चयन किया गया।
51 इंच ही क्यों रखी गई मूर्ति
राम मंदिर में स्थापित रामलला की मूर्ति सिर्फ 51 इंच रखी गई है। 51 इंच की लंबाई रखने के पीछे की वजह बताई गई कि 5 वर्ष के बालक की लंबाई करीबन 51 इंच ही होती है। हालांकि भारत में वर्तमान में पांच साल के बच्चों की लंबाई और मोटाई 43 से 45 इंच के आसपास मानी जाती है। लेकिन श्रीराम जिस दौर में पैदा हुए थे उस समय आम लोगों की लंबाई ज्यादा हुआ करती थी और हिंदू धर्म में 51 अंक काफी शुभ भी माना जाता है।
काले पत्थर से क्यों बनाई गई मूर्ति
दरअसल रामलला की मूर्ति से जुड़ा एक और सवाल यह भी हो सकता है यह काले पत्थर से क्यों बनाई गई। इसके पीछे की वजह यह है कि रामलला की मूर्ति को शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है और हिंदू धर्म में इसी पत्थर से देवी देवताओं की मूर्ति का निर्माण किया जाता है। हिंदू धर्म में शालिग्राम को सबसे पवित्र पत्थर माना जाता है। यह भगवान विष्णु का विग्रह रूप है, जो काले रंग के चिकने और अंडाकार होते है। यह पत्थर नदियों के तलो और किनारों में पाए जाते है।
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