Ramlala Pran Pratishtha

Ramlala Pran Pratishtha: श्रीराम को जीजा मानते है सखी समुदाय, रामायण से जुड़ा है संबंध

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Ramlala Pran Pratishtha: 22 जनवरी का दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्ण (Ramlala Pran Pratishtha) अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। इस दिन अयोध्या के राम मंदिर में भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जिसकी तैयारी अयोध्या समेत पूरे देश में जोरों से चल रही है। इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए लाखों लोग अयोध्या पहुंच रहे है। वहीं अयोध्या में राम मंदिर के पास ही एक भवन बना हुआ है जिसे कनक भवन के नाम से जाना जाता है। इस कनक भवन में रोज शाम को सखी समुदाय के लोग रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की खुशियां मना रहे है। आज हम आपको सखी समुदाय के बारे में ही बताने जा रहे है जो माता सीता को अपनी बहन और प्रभु श्रीराम को अपना जीजा मानते है। आइए जानते है क्या है सखी समुदाय का श्रीराम से संबंध:-

कौन है सखी समुदाय:-

सखी समुदाय में किन्नरों को प्रमुख माना जाता है। इस समुदाय के लोग भगवान श्रीराम को अपना जीजा और माता सीता को अपनी बहन मानते है। देखा जाए तो सखी समुदाय किन्नरों के लिए मुख्य होता है लेकिन इस समुदाय में कोई भी स्त्री और पुरूष शामिल हो सकते है और इस समुदाय का हिस्सा बन सकते है। वैसे तो सखी समुदाय के लोग पूरे देश में अलग अलग जगह रहते है लेकिन अयोध्या में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं 22 जनवरी के दिन सखी समुदाय के लोग कनक भवन में एकत्रित होकर पूरे दिन भगवान राम के लिए भजन कीर्तन करेंगे।

Ramlala Pran Pratishtha
सखी समुदाय का रामायण से संबंध:-

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सखी समुदाय का सीधा संबंध रामायण काल से माना जाता है। कहा जाता है कि जब श्रीराम भगवान माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास जा रहे थे। तब सभी नगर के लोग उन्हें छोड़ने के लिए नगर के सीमा तक आए थे। नगरवासियों को देख श्रीराम ने कहा था कि सभी स्त्री और पुरूष अयोध्या में अपने घर को लौट जाएं। श्रीराम ने स्त्री और पुरूष को तो वापिस लौटने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने किन्नरों के बारे में कुछ नहीं कहा। तब किन्नरों ने फैसला किया कि वह 14 साल तक वहीं अपने प्रभु श्रीराम के लौटने का इंतजार करेंगे।

जब प्रभु श्रीराम 14 वर्ष बाद वनवास से लौट कर आए तो उन्होंने किन्नरों को वहीं इतंजार करते हुए देखा। श्रीराम ने किन्नरों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात अपने प्रभु को बता दी। कहा जाता है कि तब भगवान श्रीराम ने सभी किन्नरों को उनके साथ अयोध्या में साथ रहने का प्रस्ताव दिया था।

प्रभु श्रीराम को देते है गाली:- 

सखी समुदाय से जुड़ी एक और मान्यता यह भी है कि सभी किन्नर लोग माता सीता के साथ उनकी सेवा के लिए अयोध्या आए थे। तभी से वह अयोध्या को ही अपनी अंतिम भूमि मानकर यहां रहने लग गए। सखी समुदाय से जुड़ी एक रोचक बात यह भी है कि इस समुदाय के लोग श्रीराम को गाली यानी गारी गाते है। इस गीत में किसी भी प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता । इससे जुड़ी एक मान्यता यह है कि यह गारी सखी समुदाय द्वारा प्रभु श्रीराम की लंबी आयु के लिए गाई जाती है।

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