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Rang Teras 2024 Date: ​कब और क्यों मनाया जाता है रंग तेरस का त्यौहार, भगवान श्री कृष्ण से है संबंधित

Rang Teras 2024 Date

Rang Teras 2024 Date: हिंदू धर्म में हर तीज त्यौहार (Rang Teras 2024 Date)का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक त्यौहार है रंग तेरस, जिसे रंग त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। रंग तेरस हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष के दौरान त्रयोदशी यानी 13वें दिन को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने के बाद रंग खेलने की पंरपरा हैं। यह त्यौहार व्यापक रूप से राजस्थान, गुजरात,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,बिहार और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े ही धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन रंग बिरंगे जुलूस निकाला जाता है और साथ ही मंदिरों व मेलों में भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते है इस साल कब मनाया जाएगा रंग तेरस का त्यौहार

इस दिन मनाया जाएगा रंग तेरस

इस साल रंग तेरस का त्यौहार 07 अप्रैल 2024,रविवार के दिन मनाया जा रहा है। त्रयोदशी तिथि का आरंभ 06 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 19​ मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 07 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा। उदयातिथि की वजह से इस साल रंग तेरस का त्यौहार 07 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। रंग तेरस का त्यौहार होली की ही तरह भाईचारे की भावना का प्रतीक माना जाता हैं।

कैसे और क्यों मनाया जाता है रंग तेरस का त्यौहार

रंग तेरस का त्यौहार भारतीय किसानों द्वारा धरती मां को धन्यवाद देने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन किसान जीवन में आवश्यक चीजें देने वाली धरती मां को श्रद्धांजलि देते है और महिलाएं व्रत करती है। इस दिन गांव के युवाओं द्वारा नृत्य, पारंपरिक खेल और अपना कौशल का प्रदर्शन भी करते है।

वहीं दूसरी तरफ यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित माना जाता है और इन्हें भगवान श्रीनाथजी के रूप में पूजा जाता है। राजस्थान के नाथद्वारा में रंग तेरस का त्यौहार बड़े ही उमंग और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन दूर दूर से लोग श्रीनाथजी मंदिर में दर्शन के लिए आते है।

वहीं राजस्थान के मेवाड़ में रंग तेरस के दिन भव्य आदिवासी मेलों का आयोजन किया जाता है। इस भव्य मेले का आयोजन गेहूं की फसल पर खुशी व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इस दिन बुजुर्ग लोगों की भीड़ नगाड़ा बजाती है और गांव के युवा बांस की लाठियों और तलवारों से बज रहे संगीत की ताल को तोड़ने की कोशिश करते है। इस नृत्य को ही गैर के नाम से जाना जाता है और यह रंग तेरस का त्यौहार 15वीं शताब्दी से इसी पारंपरिक तरीके से मनाया जाता रहा है।

रंग तेरस का महत्व

रंग तेरस के दिन भारत के अधिकतर कृष्ण मंदिरों में उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) में भी भारी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जाती है। वहीं रंग तेरस का त्यौहार उन मंदिरों में विशेष रूप से मनाया जाता है जहां पर भगवान कृष्ण की ‘श्रीनाथजी’ के रूप में पूजा की जाती है। कई जगहों पर इस दिन रंगारंग जुलूस भी निकाला जाता है और कई जगहों पर इसे होली समारोह के एक भाग के रूप में भी मनाया जाता है।

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