यात्रा के दौरान खुद ही उठाते थे अपना बैग, एयरलाइंस के कर्मचारियों के लिए क्यों खास थे रतन टाटा

Ratan Tata Airlines Story: देश के मशहूर बिजनेस टायकून और टाटा समूह के चेयर मैन रतन टाटा अब नहीं रहे। बुधवार रात को मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। देश से लेकर विदेश तक रतन टाटा अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। उनसे कोई भी मिल सकता था, वह अपना फोन भी खुद उठाते थे। रतन टाटा एक मिलनसार और बीना नखरे वाला व्यक्ति के तौर पर जानते थे। रतन टाटा की सादगी का एक ऐसा ही किस्सा उनकी दिल्ली से मुंबई की यात्रा के दौरान जुड़ा है।

क्या है एयरलाइंस वाला किस्सा

टाटा समूह पर चर्चित किताब ‘द टाटाज़ हाउ अ फ़ैमिली बिल्ट अ बिज़नेज़ एंड अ नेशन’ के मुताबिक रतन टाटा की सादगी के बारे में एयरलांइस का एक किस्सा काफी चर्चित है। दरअसल साल 1992 में इंडियन एयरलाइंस के कर्मचारियों के बीच एक सर्वे कराया गया। इस सर्वे में उनसे पूछा गया कि दिल्ली से मुंबई की यात्रा के दौरान ऐसा कौन सा यात्री है, जो उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।

इस सवाल के जवाब में एयरलाइंस के कर्मचारियों ने रतन टाटा का नाम लिया। सर्वे में कर्मचारियों ने बताया कि रतन टाटा इकलौते ऐसे वीआईपी व्यक्ति थे, जो अपनी यात्रा अकेले करते थे। उनके साथ यात्रा के दौरान बैग और सामान उठाने के लिए कोई असिस्टेंट तक नहीं होता था। रतन टाटा अक्सर हवाई यात्रा के दौरान ब्लैक कॉफी मांगते थे। अगर कभी उन्हें अपनी पसंदीदा कॉफी नहीं मिलती तो वह ना तो गुस्सा करके थे और ना ही उन्होंने कभी भी किसी अटेंडेंट तो डांटा था।

जेआरडी टाटा के कमरे में कभी नहीं बैठे

जब रतन टाटा, टाटा संस के प्रमुख बने तो वे कभी भी जेआरडी टाटा के कमरे में नहीं बैठते थे। उन्होंने अपने बैठने के लिए एक छोटा सा कमरा बनवाया था। रतना टाटा के लिए मशहूर था कि जब वह किसी जूनियर कर्मचारी या अफसर से बात कर रहे होते और कोई बड़ा अधिकारी आ जाए तो वह उनसे इंतजार करने के लिए बोलते थे।

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