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NSA अजित डोभाल भारत के ‘रियल जेम्स बॉन्ड’

NSA AJIT DOVAL: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल (Ajit Doval) के बारे में कम ही लोग जानते होंगे कि वह पाकिस्तान (Pakistan) में अंडर कवर एजेंट रह चुके हैं। उन्होंने पाक में 7 सालों तक भेष बदलकर भारतीय इंटेलिजेंस (IB) के लिए काम किया है। अजित डोभाल को भारतीय सेना (Indian Army) की पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) का मास्टरमाइंड माना जाता है। उनके खुफिया कारनामों के बारे में सुनने के बाद लोग उनकी तुलना जेम्स बॉन्ड से करते हैं। 

अजीत डोभाल एकमात्र नौकरशाह हैं जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा गया है। कई सिक्योरिटी कैंपन का हिस्सा रहे हैं अजीत डोभाल। डोभाल अपनी आईपीएस अफसर की नियुक्ति के 4 साल बाद ही 1972 में इंटेलिजेंस ब्‍यूरो से जुड़ गए थे। अजीत डोभाल बने तो आईपीएस अफसर थे लेकिन उन्‍होंने अपने करियर में सिर्फ 7 साल पुलिस की वर्दी पहनी। वहीं अजीत डोभाल को जासूसी  का करीब 37 साल का अनुभव है। 31 मई 2014 को उन्‍होंने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पदभार संभाला।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल किसी पहचान के मोहताज नहीं है। डोभाल केंद्र सरकार में सबसे मजबूत अधिकारी माने जाते हैं। डोभाल की हैसियत क्या है इस बात का अंदाजा पीएम के साथ उनकी नजदीकी से लग जाता है। देश के अहम फैसलों में उनकी राय की अहमियत और महत्वपूर्ण मौके पर उनकी मौजूदगी से ही उनके कद का अनुमान लगा सकते हैं। पीएम मोदी के दाहिने हाथ माने जाने वाले डोभाल की जासूसी को लेकर कई किस्से कहानियां मौजूद हैं।
हथियार बंद लोगों को घर पर दी थी दावत
आईबी के चीफ रहे डोभाल को आंतरिक सुरक्षा और काउंटर टेररिज्म का मास्टर माना जाता है। पंजाब से लेकर नॉर्थ ईस्ट, कंधार से लेकर कश्मीर तक आतंकवाद के खिलाफ उनका रिकॉर्ड शानदार है। डोभाल के पूर्वोत्तर में काम के दौरान एक ऐसा मौका आया जब उन्होंने अपनी पत्नी को अपने मिशन की भनक तक नहीं लगने दी थी। डोभाल ने अपने रोमांचक करियर की यह बात खुद एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी। दरअसल, जब डोभाल जब मिजोरम में तैनात थे उस समय उन्होंने कुछ लोगों को अपने घर खाने पर बुलाया था। दरअसल, ये लोग प्रसिद्ध लालडेंगा के मिजो नेशनल फ्रंट के सेना कमांडर थे। ये मिजो विद्रोह में शामिल था।
डोभाल की पत्नी ने बनाया था सूअर का मांस
खासबात है कि इन लोगों के लिए डोभाल की पत्नी ने सूअर का मांस बनाया था। हालांकि, उन्होंने इससे पहले कभी सूअर का मांस नहीं बनाया था। डोभाल ने बताया था कि इस बात का पता उन्हें कई साल बाद पता लगा। इसके बाद उनकी पत्नी अनु नाराज हो गई थीं। डोभाल ने नगा विद्रोहियों की मेजबानी करने के अलावा मिजोरम सरकार की मदद भी की। इसके अलावा डोभाल ने 33 साल की सर्विस में पूर्वोत्तर के दुर्गम क्षेत्रों में प्रभावी काम किया।
इजरायली सरकार के ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड जैसा ही ऑपरेशन जैकबूट
डोभाल का यह ‘ऑपरेशन जैकबूट’ भी इजरायली सरकार के ‘ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड’ जैसा ही था। इजरायल गवर्नमेंट ने म्यूनिक में आयोजित 1972 के समर ओलिंपिक में मारे गए अपने लोगों का बदला लेने के लिए फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के खिलाफ यह बेहद रहस्यमयी अभियान छेड़ा था। डोभाल ने भी इजरायली सरकार की तर्ज पर उन सभी कश्मीरी आतंकवादियों के खात्मे की रूपरेखा तैयार कर दी।
बुरहान के ग्रुप 11 का खात्मा
बुरहान ग्रुप से और जिन लोगों को खत्म किया जा चुका है, उनमें सबजार अहमद भट्ट (मई, 2017), वसीम माला (अप्रैल, 2015), नसीर अहमद पंडित (अप्रैल, 2016), अफाकुल्ला भट्ट (अक्टूबर, 2015), आदिल अहमद खांडे (अक्टूबर 2015), सद्दाम पद्दार (मई, 2018) के अलावा वसीम शाह और अनीस शामिल हैं। मोहम्मद रफी भट्ट भी पद्दार के साथ ही मारा गया था। बुरहान ग्रुप का एक और आतंकी तारिक पंडित 2016 में ही गिरफ्तार किया जा चुका था।

परेशन ब्लैक थंडर में डोभाल की भूमिका

सन 1988 में हुए ऑपरेशन ब्लैक थंडर-टू में डोभाल की भूमिका ने उनकी ख्याति में चार चाँद लगा दिए थे. जब चरमपंथी स्वर्ण मंदिर के अंदर घुसे हुए थे तो डोभाल भी अंडर कवर के रूप में मंदिर के अंदर घुसे हुए थे. “ब्लैक थंडर ऑपरेशन शुरू होने से दो दिन पहले वो रिक्शा चलाने वाला स्वर्ण मंदिर में घुसा और वहाँ से महत्वपूर्ण जानकारी लेकर बाहर लौटा. उसने पता लगाया कि मंदिर के अंदर कितने चरमपंथी थे. ये रिक्शेवाला और कोई नहीं अजीत डोभाल थे.

अजीत डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस भी रहे। वह 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे।  

1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था। डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी।  

पाकिस्तान में Ajit Doval के नाम का खौफ
डोवल पाकिस्तान के लिए एक ऐसा नाम है जो उसकी सबसे बड़ी मुसीबत है. वैसे डोवल की दहाड़ पाकिस्तान को पहले भी डराती आई है. अजित डोवल का मानना है कि ‘जब तक हम नहीं जीतेंगे लड़ाई समाप्त नहीं होगी.’
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