महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार में सभी पार्टियां जमकर प्रचार कर रही है। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कमान संभाल ली है। इसके तहत नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय के ठीक बाहर आरएसएस से प्रेरित लोक जागरण मंच के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कुछ घरों का दौरा किया। इन कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों को इस महीने होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में वोट देने के लिए प्रेरित किया है।
पर्चा बांटकर प्रचार
गौरतलब है कि 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र राज्य में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 9 सीट मिली थी। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी जमकर तैयारी कर रही है। बीजेपी के लिए प्रचार करने वाले कार्यकर्ता हिंदी और मराठी में एक पन्ने का एक पर्चा घर-घर जाकर बांट रहे हैं। इस पर्चे में लोगों से कहा गया है कि वो उन लोगों से सावधान रहें, जो ‘संविधान, आरक्षण और एससी-एसटी के बारे में अफवाहें फैला रहे हैं। पर्चा में लिखा है कि वो ऐसी सरकार को चुनें जो ‘जमीन जिहाद, लव जिहाद, धर्म परिवर्तन, पत्थरबाजी और दंगों’ पर रोक लगाए।
लोकसभा चुनाव में संघ का नहीं मिला साथ?
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान दिया था कि पार्टी आत्मनिर्भर है, पहले की तरह संघ पर निर्भर नहीं है। कुछ जानकारों का कहना है कि इसी कारण आरएसएस लोकसभा चुनावों के दौरान पीछे हट गया था। हालांकि दो महीने पहले पलक्कड़ में हुई भाजपा-आरएसएस समन्वय बैठक के बाद संघ महाराष्ट्र में इस विधानसभा चुनाव अभियान में उत्साहपूर्वक मैदान में है। यही कारण है कि संघ के कार्यकर्ता घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
पर्चे में पीएम मोदी की ओर इशारा
इसके अलावा कार्यकर्ता जिस पर्चे को बांट रहे हैं, उसमें कहा गया है कि लोगों को अंतर समझना चाहिए कि कौन विश्व मंच पर भारत की छवि सुधारने का काम कर रहा है और कौन विदेशों में देश को बदनाम कर रहा है। हालांकि नाम नहीं लिखा है, लेकिन ये इशारा नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की ओर है।
आरएसएस की तरफ से 50 हजार से ज्यादा बैठक करने की योजना
आरएसएस के कार्यकर्ताओं की ओर से चुनावों प्रचार में लोगों के साथ 50,000 से 70,000 छोटी बैठकें करने की योजना है। बता दें कि संगठन इसे अपनी निरंतर लोक जागरण गतिविधि कहता है। आरएसएस ने हरियाणा में भी ऐसा ही किया था, जहां 16,000 से अधिक ऐसी बैठकें की गई थी। जिसके अच्छे नतीजे हालिया चुनावों में देखने को मिले थे, जिसमें भाजपा की जीत हुई थी।