Rudra Ganga Sant Fakkad Ashram रुद्रगंगा संत फक्कड़ आश्रम को वन विभाग ने उखाड़ कर फेंका, लोगों में भारी नाराजगी
Rudra Ganga Sant Fakkad Ashram मध्य प्रदेश के अमरकंटक के पास घने जंगलों में स्थित रुद्रगंगा संत फक्कड़ आश्रम को वन विभाग ने उखाड़ कर फेंक दिया है। लोगों की जिस संत में बड़ी आस्था थी उसके आश्रम को तोड़े जाने की कार्रवाई से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। पढ़िए क्या है पूरा मामला
अमरकंटक की पहाडियों में था फक्कड़ बाबा का आश्रम
मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक के पास जगलों के बीच एक शांत और रमणीय स्थल है रुद्र गंगा। यहां फक्कड़ बाबा नाम के एक चर्चित और पहुंचे हुए संत का वास था। बाद में फक्कड़ बाबा के ब्रम्हलीन होने के बाद उनके शिष्य संत शत्रुध्न यहां वास करते थे। संत शत्रुध्न का सानिध्य पाने को लोग बड़ी संख्या में यहां आश्रम में आते थे। वन विभाग की कार्रवाई के बाद लोगों में भारी गुस्सा है।
50 से 60 साल पुराना आश्रम ध्वस्त
बताते चलें कि एमपी के अमरकंटक की पहाड़ियों में धने जंगलों के बीच फक्कड़ बाबा पिछले 50-60 सालों से भजन कीर्तन में लीन रहते थे। वहीं पर उन्होंने धीरे-धीरे एक आश्रम बना लिया। उनके देहावसान के बाद अपने गुरु स्थान को संत शत्रुध्न ने संभाल कर रखा और वहां की महिमा बनी रहे इसके लिए अथक प्रयास करते रहे। संत शत्रुध्न गुरु परंपरा के अनुसार भजन , साधना के साथ गुरु स्थान पर रह कर पूजा पाठ में लीन रहते थे।इस बीच वन विभाग ने आश्रम को अवैध बताकर कई बार संत शत्रुध्न को वहां से हट जाने को कहा था। अब वन विभाग ने पूरी तरह से आश्रम को नष्ट कर दिया है।
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वन विभाग की कार्रवाई से लोगों में गुस्सा
गौरतलब है कि रुद्र गंगा आश्रम जाने के रास्ते को वन विभाग के अधिकारियों ने कई बार बंद भी कर दिया था। मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग ने पुराने फक्कड़ आश्रम को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है और आश्रम ध्वस्त होने के बाद संत शत्रुध्न भी वहां से गायब बताए जा रहे हैं। लोगों की जिस जगह से गहरी आस्था थी और जहां देवी काली की प्रतिमा और हवन स्थल था सबको ध्वस्त कर फेंक देने की कार्रवाई से लोगों में भारी आक्रोश है।
संत समाज ने दी चेतावनी
मध्य प्रदेश सरकार के वन विभाग की कार्रवाई से संत समाज भी गुस्से मे है और विभाग को चेतावनी दी है। उनका कहना है कि पुराने संत आश्रम स्थल को तोड़ना संत विरोधी मानसिकता है। एमपी के रंग महल की साध्वी शिवानी पुरी कहती हैं कि यह आश्रम तपस्थली थी । इस आश्रम से जुड़े लोग बड़े आन्दोलन की तैयारी कर रहे हैं।
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