रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने शुक्रवार को मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों ने 20 साल की रणनीतिक साझेदारी के समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता मुख्य रूप से सैन्य और खुफिया सहयोग को बढ़ाने के लिए किया गया है, साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी साथ काम करने की योजना बनाई गई है। रूस और ईरान का यह गठजोड़ पश्चिमी देशों के लिए चिंता का कारण बन सकता है।
रूस और ईरान ने एक समझौते पर सहमति जताई है, जिसमें वे सुरक्षा सेवाओं के बीच खुफिया जानकारी साझा करेंगे, साथ में सैन्य अभ्यास करेंगे और अधिकारियों की ट्रेनिंग में सहयोग करेंगे। इसके अलावा, दोनों देशों ने यह वादा किया है कि उनकी जमीन का इस्तेमाल एक-दूसरे के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए नहीं होने देंगे।
रूस के साथ रिश्तों में ‘नए अध्याय’ की शुरुआत: राष्ट्रपति पेजेश्कियान
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस समझौते को एक बड़ी सफलता बताया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता रूस, ईरान और पूरे क्षेत्र के स्थिर और तेज़ विकास में मदद करेगा। पुतिन ने समझौते से होने वाले व्यापार और आर्थिक फायदों पर ज़ोर दिया, जिसमें ईरान को नागरिक परमाणु तकनीक की बिक्री और रूस से गैस की आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं। ईरान के राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने इस समझौते को रूस के साथ रिश्तों में ‘नए अध्याय’ की शुरुआत बताया।
रूस और ईरान के बीच बढ़ता सैन्य और खुफिया सहयोग
रूस और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य और खुफिया सहयोग पर पश्चिमी देशों की पैनी नजर है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने सितंबर में चेतावनी दी थी कि रूस, ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम में मदद कर सकता है। हालांकि, ईरान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसने रूस को मिसाइलें नहीं दी हैं। फिर भी, ईरान रूस को अपने शहीद 136 ड्रोन बेचता है और उनके निर्माण में भी सहयोग करता है।
पश्चिमी टकराव से रूस और ईरान आए करीब
विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते टकराव ने रूस और ईरान को एक-दूसरे के करीब ला दिया है। जेम्स मार्टिन सेंटर की हन्ना नॉटे के मुताबिक, पश्चिम के खिलाफ चल रहे इस भू-राजनीतिक संघर्ष ने दोनों देशों को मिलकर काम करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि, खाड़ी क्षेत्र में अपनी रणनीतिक और आर्थिक जरूरतों के कारण रूस अभी पूरी तरह से ईरान का समर्थन नहीं कर रहा है।