विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त को लेकर चीन के साथ हुए हालिया समझौते का श्रेय भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक प्रयासों को दिया। उन्होंने कहा कि सेना ने देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में काम किया।
पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि चीन के साथ विवाद को सुलझाने में, हालांकि कुछ प्रगति हुई है। लेकिन संबंधों को सामान्य करने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि विश्वास को फिर से स्थापित करना और सहयोग की इच्छा एक धीमी प्रक्रिया है।
‘हमारा पूरा ध्यान सीमा को सुरक्षित करने पर है’
जयशंकर ने कहा, “हमारा अब पूरा ध्यान सीमा को सुरक्षित करने पर है। यह बदलाव रातोंरात नहीं हुआ। इसके लिए व्यापक बातचीत और सहयोग की आवश्यकता थी। चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती के लिए हमारा बजट पांच गुना बढ़ गया है, जिससे हमें कठिन परिस्थितियों और ठंडे मौसम में भी मजबूत उपस्थिति बनाए रखने में सहायता मिल रही है।”
विदेश मंत्री ने आगे कहा, ”इस प्रयास को समर्थन देने के लिए दूरस्थ क्षेत्रों में हमने बुनियादी ढांचा विकसित किया है। यह एक समन्वित दृष्टिकोण रहा है, जिसमें सरकार, कूटनीति और सैन्य बल सभी एकजुट टीम की तरह मिलकर काम कर रहे हैं। वास्तव में यह एक टीम वर्क था।”
रूस ने तय किया बातचीत का आधार
अपनी चर्चा में आगे जयशंकर ने यह भी खुलासा किया कि हाल ही में रूस में संपन्न हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आगे के रास्ते पर बातचीत की थी। उन्होंने कहा कि रूस में हुई इस बातचीत ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा का आधार तैयार किया है।
भारत के बदलते दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने पिछले दशक में देश के सीमा बुनियादी ढांचे में हुए महत्वपूर्ण सुधारों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आज हम दस साल पहले की तुलना में हर साल पांच गुना अधिक संसाधन आवंटित कर रहे हैं, जिससे सैन्य बलों की तैनाती अधिक प्रभावी हो पाई है।”
‘हमारी अपनी आपूर्ति श्रृंखला होनी चाहिए’
विदेश मंत्री ने चीन के साथ आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने और विदेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू क्षमताओं के विकास के महत्व को भी रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “वित्तीय व्यापार से जुड़े मुद्दे अभी भी बने हुए हैं। मुझे कॉर्पोरेट अनुभव है। चीन अभी भी एक बड़ा निर्माता है। कहीं न कहीं हमें यह समझना होगा कि हमें उन क्षमताओं का विकास करना होगा। हमारी अपनी आपूर्ति श्रृंखला होनी चाहिए। व्यापार की अपनी जिम्मेदारियां होती हैं। हमें रोजगार का समर्थन करना होगा। जब हमने आत्मनिर्भरता पर चर्चा की, तो यह एक आर्थिक रणनीति योजना है। यह एक आत्मरक्षा रणनीति है।”
गश्त फिर से शुरू करने पर बनी सहमती
बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में भारत ने चीन के साथ LAC विवाद पर एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। जिसके तहत पूर्वी लद्दाख में गश्त फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है। यह समझौता 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शुरू हुए सैन्य गतिरोध के बाद आया है। जिसमे तब से द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था। सितंबर 2020 से भारत इस गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन के साथ बातचीत कर रहा था, जिसके बाद इस पर सहमती बन गई। भारत और चीन की सेना ने LAC पर देपसांग और डेमचोक में अपने-अपने स्थान से पीछे हटने का फैसला किया है।
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