Russia Ukraine War: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार को रूस-यूक्रेन युद्ध पर बात करते हुए एक बड़ी बात कह दी है। उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान में किसी को कोई समाधान नहीं मिलने वाला है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि लोगों को बातचीत की मेज पर आना ही होगा और जितनी जल्दी ऐसा होगा, उतना ही बेहतर होगा।
युद्ध नहीं, कूटनीति का समय
जयशंकर इन दिनों जी-7 समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में जनसम्पर्क सत्र में हिस्सा लेने के लिए तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर इटली में हैं। इसी दौरान जयशंकर ने इटली के एक अखबार ‘कोरियेरे डेला सेरा’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि आज दो बड़े संघर्ष एक साथ चल रहे हैं। यह पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर बहुत दबाव डाल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हम सिर्फ दर्शक बनकर नहीं बैठ सकते और यह नहीं कह सकते कि चलो, ऐसा ही है। यह काम करेगा या नहीं, हम तब तक नहीं जानेंगे जब तक हम कोशिश नहीं करेंगे।
विदेश मंत्री S Jaishankar ने यूक्रेन और मध्य पूर्व दोनों संघर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि देशों को पहल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें प्रयास करने चाहिए, चाहे वह कितने भी मुश्किल क्यों न लगे। हमें कुछ साझा आधार खोजने की कोशिश करनी चाहिए, जो आज हमारे पास है उससे बेहतर कुछ।
युद्ध के मैदान में नहीं मिलेगा समाधान
जयशंकर ने भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारा मानना है कि संघर्ष को खत्म करने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत इसी दिशा में प्रयास कर रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि हमें मास्को और कीव दोनों से बात करनी होगी, और यही हम करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि यह संघर्ष अब लगभग तीन साल पुराना हो चुका है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है। उन्होंने कहा कि हमें बातचीत करनी ही होगी। किसी न किसी स्तर पर लोग मेज पर आएंगे। जितनी जल्दी वे ऐसा करेंगे, उतना ही बेहतर होगा, क्योंकि सिर्फ यूरोप ही नहीं बल्कि बाकी दुनिया भी इससे प्रभावित हो रही है।
बातचीत से ही जान पाएंगे दोनों देशों की मंशा
विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह सिर्फ यूरोप नहीं है जो इस संघर्ष का बोझ उठा रहा है। इस युद्ध से हर किसी की जिंदगी पर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के बहुत बड़े हिस्से में एक मजबूत भावना है कि युद्ध कर रहे देशों को वार्ता की मेज पर वापस लाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि हम तभी जान पाएंगे कि रूस या यूक्रेन क्या चाहते है जब वे बातचीत शुरू करेंगे।