उत्तर-प्रदेश के संभल के शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुआ हिंसा पूर्व नियोजित था। सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने कहा कि जिस दिन बवाल हुआ था, मैं वहां मौजूद था। उन्होंने बताया कि उस समय उक्त मस्जिद में दूसरे पक्ष (मुस्लिम पक्ष) की ओर से तीन अधिवक्ता, मस्जिद कमेटी के लोग और इमाम भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने भी शांति की अपील की थी।
पूर्व नियोजित हिंसा
बता दें कि संभल शाही मस्जिद मामले में मस्जिद प्रबंध समिति ने दावा किया था कि सर्वे अदालत के आदेश पर नहीं हुआ था। इस मामले में सुनवाई के दौरान बुधवार को हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि दूसरा सर्वेक्षण ‘एडवोकेट कमिश्नर’ के आदेश पर हुआ था। वकील ने कोर्ट को बताया कि यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय नहीं था। हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने कहा कि दोबारा सर्वे कोई जल्दबाजी का निर्णय नहीं था, इस सर्वे का आदेश एडवोकेट कमिश्नर का था।
प्रर्दशनकारियों ने की थी पत्थरबाजी
वकील गोपाल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि उपद्रवियों ने हमारी तरफ भी पत्थर फेंके थे। इस दौरान पुलिस ने उन्हें खदेड़ा था, लेकिन वे पुलिस पर लगातार ईंट-पत्थर फेंक रहे थे। इतना ही नहीं पुलिस पर गोलीबारी उन्होंने ही की थी। इस दौरान कई पुलिसकर्मियों को छर्रे लगे थे। ये हिंसा पूर्व नियोजित था और उपद्रवियों ने अपना चेहरा ढका हुआ था।
क्या कहती है रिपोर्ट
वकील गोपाल शर्मा ने कहा कि 29 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट अदालत को सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान दोनों पक्ष मौजूद रहेंगे। वहीं प्रशासन द्वारा जबरन वजूखाने का पानी खाली कराने के आरोप पर वकील शर्मा ने कहा कि हौज तो हर हफ्ते खाली किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हौज खाली नहीं होता, तो उसकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कैसे होती? उन्होंने दावा करते हुए कहा कि तथाकथित (जामा) मस्जिद में वर्ष 1978 तक हिन्दू पक्ष भी पूजा करने जाता था। लेकिन वर्ष 1978 में दंगे के बाद हिन्दू पक्ष का जाना बंद हो गया था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का बोर्ड
गोपाल शर्मा ने कहा कि यहां एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) का बोर्ड भी लगा है। यह एएसआई द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि यहां हर साल एएसआई दो बार सर्वे भी करता है। जब यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है, तो यहां नमाज होना भी उचित नहीं है।
दोनों पक्षों की बात सुने कोर्ट
समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्हें ‘एडवोकेट कमिश्नर’ से कोई आपत्ति नहीं है, यह अदालत का अधिकार है। इकबाल महमूद ने कहा कि हमारी यह सोच है, कोई भी अदालत हो बिना दूसरे पक्ष को सुने कैसे आदेश दिया गया है। दूसरे पक्ष को बुलाया ही नही गया,चार घंटे में फैसला सुना दिया गया है। कमीशन होगा कमीशन आ भी गया , रिपोर्ट भी तैयार हो गया हमें जवाब देने और सफाई देने का मौका नहीं मिला कानूनन मिलना चाहिए।