महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर 2019 वाले मोड़ पर खड़ी हो गई है। इस बार सीएम पद को लेकर मचा बवाल काफी पुराना लग रहा है। एक तरफ बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की है, वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे के गुट ने सीएम बनने की अपनी पुरानी मांग को दोहराते हुए बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है। शिंदे गुट का कहना है कि चुनाव उनकी अगुवाई में लड़ा गया था, और इसलिए सीएम पद सिर्फ उनका हक है। बीजेपी की तरफ से डिप्टी सीएम या केंद्र में मंत्री बनने का ऑफर मिलने के बावजूद शिंदे किसी भी सूरत में सीएम का पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
2019 जैसा विवाद फिर से शुरू
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में हुए थे, जब शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन इस चुनाव के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों पार्टियों के बीच घमासान शुरू हो गया था। बीजेपी ने यह वादा किया था कि पहले ढाई साल सीएम शिवसेना का होगा, फिर ढाई साल बीजेपी का। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी ने अपना रुख बदलते हुए मुख्यमंत्री पद की मांग कर दी, जिसको लेकर शिवसेना बिफर गई थी। इसके चलते शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाई थी।
PM मोदी के फोन के बाद शिंदे का तेवर ढीला, बोले- बीजेपी का सीएम मंजूर
अब एक बार फिर वही कहानी सामने आ रही है। शिंदे गुट का कहना है कि 2019 में जैसे बीजेपी ने सीएम के लिए वादा किया था, वैसे ही अब भी सीएम पद उनका हक है। संजय शिरसाट, जो शिंदे गुट के प्रमुख नेता हैं, ने साफ कहा कि जब चुनाव शिवसेना के चेहरे पर लड़ा गया था, तो सीएम पद पर उनका हक बनता है।
बीजेपी ने शिंदे को डिप्टी सीएम या फिर केंद्र में मंत्री पद देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन शिंदे गुट ने इसे ठुकरा दिया। उनका कहना है कि इस चुनाव में महायुति की जीत में सबसे बड़ी भूमिका एकनाथ शिंदे की थी और ऐसे में सीएम पद पर उनका हक बनता है। शिंदे के करीबी नेताओं का कहना है कि अगर बीजेपी हमारी मांग मानती है और शिंदे को सीएम बनाती है, तो यह एक अच्छा संदेश जाएगा, जो आने वाले चुनावों में शिवसेना के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
बीजेपी की रणनीति और शिंदे गुट की दुविधा
बीजेपी के नेता यह मानते हैं कि चुनाव में महायुति को जितनी सीटें मिलीं, उसका अधिकांश श्रेय शिंदे गुट को ही जाता है। हालांकि, बीजेपी का इरादा अपनी सरकार बनाने का है और मुख्यमंत्री पद पर अपना चेहरा लाने की कोशिश में है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, यह तय हुआ था कि महायुति की सरकार बनने पर शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन अब बीजेपी अपना सीएम बनाने पर अड़ी हुई है। देवेंद्र फडणवीस के नाम की चर्चा हो रही है, लेकिन शिंदे गुट इसपर सहमत नहीं हैं।
2019 से 2024: क्या बदलेगा कुछ?
2019 में बीजेपी और शिवसेना के बीच सीएम पद को लेकर जो विवाद हुआ था, वही अब फिर से नजर आ रहा है। 2019 में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में सीएम पद को लेकर विवाद के कारण शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाई। फिर 2022 में शिंदे गुट ने बीजेपी से हाथ मिलाकर सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन अब बीजेपी ने अपना दांव बदलते हुए सीएम पद पर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है, जिससे शिंदे गुट में खलबली मची हुई है।
क्या शिंदे गुट की जिद से बढ़ेगी मुश्किलें?
शिंदे गुट की मांग पूरी न होने पर बीजेपी और शिवसेना के रिश्ते फिर से संकट में पड़ सकते हैं। शिंदे का कहना है कि चुनाव में उनकी मेहनत की वजह से महायुति को जीत मिली है, और ऐसे में अगर बीजेपी अपनी दावेदारी पर अड़ी रहती है, तो स्थिति और भी जटिल हो सकती है। यह साफ है कि शिंदे के लिए सीएम पद से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। बीजेपी के सामने अब यह सवाल है कि क्या वह शिंदे को सीएम बनाएगी या फिर महायुति में अंदरूनी दरारों के चलते राजनीति में नया मोड़ आएगा।
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बीजेपी और शिंदे गुट के बीच यह सीएम पद की लड़ाई केवल एक पार्टी की अंदरूनी समस्या नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की सियासत में बड़े बदलाव का संकेत दे रही है। 2019 में जो घमासान सीएम पद को लेकर हुआ था, वही अब फिर से तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है। इस बार देखना होगा कि क्या बीजेपी अपनी रणनीति बदलकर शिंदे को सीएम बना देती है या फिर महाराष्ट्र की सियासत में फिर से नया पेंच फंसता है