महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया भूचाल आ सकता है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने दावा किया है कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार शरद पवार की पार्टी (एनसीपी) के सांसदों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। राउत का कहना है कि अजित पवार अपने नेतृत्व वाली एनसीपी में शरद पवार के गुट के सांसदों को जोड़ने की बजाय उन्हें तोड़ने की पूरी साजिश कर रहे हैं। राउत के इस आरोप से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है।
क्या कहा संजय राउत ने?
संजय राउत ने दावा किया कि अजित पवार अपने गुट को और मजबूत करने के लिए शरद पवार के गुट के सांसदों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। राउत ने यह भी कहा कि इन सांसदों को केंद्रीय मंत्री बनने का लालच दिया जा रहा है। उनका मानना है कि अजित पवार शरद पवार गुट के नेताओं को टूटने के लिए मजबूर कर रहे हैं, ताकि उनकी अपनी सत्ता की स्थिति मजबूत हो सके।
अमोल मिटकरी की टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद
यह सब तब शुरू हुआ जब एनसीपी के नेता अमोल मिटकरी ने एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि शरद पवार गुट के कुछ लोकसभा सदस्य अजित पवार के संपर्क में हैं। इस बयान के बाद महाराष्ट्र में यह चर्चा तेज हो गई कि क्या वाकई शरद पवार का गुट टूटने वाला है। इसके बाद संजय राउत ने भी आरोप लगाया कि अजित पवार और उनके करीबी लोग शरद पवार के गुट के सांसदों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल की भूमिका पर संजय राउत का हमला
संजय राउत ने आगे कहा कि वरिष्ठ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को शरद पवार गुट के सांसदों को तोड़ने का जिम्मा सौंपा गया है। उनका कहना था कि जब तक एनसीपी शरद पवार के गुट से दलबदल नहीं करवाती, तब तक उस गुट को केंद्र सरकार में कोई भी महत्वपूर्ण पद नहीं मिलेगा। राउत का यह आरोप और भी तूल पकड़ता जा रहा है, क्योंकि यह सीधे तौर पर अजित पवार और उनके करीबी नेताओं पर निशाना साधता है।
जितेंद्र आव्हाड का क्या कहना है?
एनसीपी के विधायक और पूर्व राज्य मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने इस पूरे मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर एनसीपी के दोनों गुट एक हो गए तो फिर सुनील तटकरे ने शरद पवार के गुट के सांसदों को पाला बदलने के लिए क्यों कहा था। आव्हाड का आरोप था कि तटकरे ने यह प्रस्ताव दिया था कि “पिता-पुत्री को छोड़ो और हमारे पास आओ”। इसका मतलब था कि वे शरद पवार और सुप्रिया सुले को छोड़कर अजित पवार के गुट में आने का संदेश दे रहे थे। आव्हाड ने यह भी कहा कि तटकरे शायद नहीं चाहते कि शरद पवार और सुप्रिया सुले फिर से एकजुट हों।
क्या हो रही है दबाव की राजनीति?
इस पूरे घटनाक्रम में जितेंद्र आव्हाड ने यह भी कहा कि एनसीपी के दोनों धड़ों के एकजुट होने की खबरें बीजेपी और जेडी(यू) पर दबाव बनाने के लिए फैलाई जा रही हैं। उनका कहना था कि यह खबरें बीजेपी को यह दिखाने के लिए फैलाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार को दूसरे राजनीतिक दलों से समर्थन मिल सकता है। इसका उद्देश्य नीतीश कुमार जैसे नेताओं पर दबाव डालना है, ताकि वे बीजेपी का साथ छोड़ने से पहले सोचें।
महाराष्ट्र की राजनीति अब एक नई दिशा में बढ़ती हुई नजर आ रही है। क्या अजित पवार शरद पवार गुट को तोड़ने में सफल होंगे, या फिर शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का गुट अपनी एकता बनाए रखेगा? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।