Sankashti Chaturthi 2025: पूर्णिमा के बाद चौथे दिन मनाई जाने वाली संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है। इस वर्ष की पहली संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2025) शुक्रवार यानि 17 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से बाधाएं दूर होती हैं, बुद्धि मिलती है और समृद्धि आती है।
संकष्टी चतुर्थी तिथि
संकष्टी चतुर्थी तिथि प्रारंभ- जनवरी 17 सुबह 06:36 बजे
संकष्टी चतुर्थी तिथि समाप्ति- जनवरी 18 सुबह 08:00 बजे
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
“संकष्टी” शब्द का अर्थ है संकट के समय मुक्ति। इस दिन, भक्त जीवन में चुनौतियों को दूर करने के लिए विघ्नहर्ता गणेश से प्रार्थना करते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है। प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2025 Significance) गणेश के एक विशिष्ट रूप और एक अद्वितीय चंद्रोदय के समय से जुड़ी होती है, जो उनकी आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाती है। यह व्रत विशेष रूप से तब शक्तिशाली होता है जब यह मंगलवार के दिन पड़ता है, जिसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
इस दिन (Sankashti Chaturthi 2025 Vrat) भक्त पूरे दिन सख्त या आंशिक उपवास रखते हैं, अनाज या पूर्ण भोजन खाने से बचते हैं। कठोर उपवास रखने वाले लोग केवल पानी का सेवन कर सकते हैं। अन्य लोग साबूदाना, फल और दूध सहित साधारण आहार का पालन करते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के दिन ऐसे करें पूजा की तैयारी
घर को साफ करें और पूजा क्षेत्र को शुद्ध करें।
एक सुसज्जित चौकी पर भगवान गणेश की साफ-सुथरी मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
मोदक , दूर्वा घास, ताजे फूल, पान के पत्ते, नारियल, गुड़ और अगरबत्ती जैसे प्रसाद तैयार करें।
संकष्टी चतुर्थी गणेश पूजा विधि
ध्यान: अपने विचारों को केंद्रित करने और उनकी उपस्थिति का आह्वान करने के लिए भगवान गणेश का ध्यान करके शुरुआत करें।
संकल्प: व्रत का पालन करने का संकल्प लें और वांछित परिणाम के लिए ईमानदारी से प्रार्थना करें।
गणपति पूजा: दीपक जलाएं और मूर्ति या तस्वीर पर ताजे फूल, दूर्वा घास और पान के पत्ते चढ़ाएं।
मंत्र: “ओम गं गणपतये नमः” का जाप करें या गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
आरती: कपूर या दीया जलाकर गणेश आरती करें।
प्रसाद: प्रसाद के रूप में मोदक या लड्डू चढ़ाएं।
संकष्टी व्रत कथा पढ़ना: संकष्टी चतुर्थी कथा सुनना इसके महत्व और आशीर्वाद को समझने का अभिन्न अंग है।
चंद्रोदय अनुष्ठान: चंद्रोदय के बाद व्रत का समापन किया जाता है।
अर्घ्य: समृद्धि की कामना करते हुए चंद्रमा को दूध मिश्रित जल से अर्घ्य दें।
प्रसाद और सादा भोजन खाकर व्रत खोलें।
संकष्टी चतुर्थी का मंत्र
गणेश के मंत्रों का जाप पूजा के आध्यात्मिक स्पंदनों को बढ़ाता है। कुछ सामान्य मंत्रों में शामिल हैं:
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरुमे देवा सर्व कार्येषु सर्वदा।”
“ओम गं गणपतये नमः।”
संकष्टी चतुर्थी के लिए क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
व्रत का पालन समर्पण और स्वच्छ मन से करें।
सुनिश्चित करें कि पूजा क्षेत्र और प्रसाद शुद्ध और ताज़ा हों।
अनुष्ठान को पूरा करने के लिए संकष्टी कथा पढ़ें या सुनें।
क्या न करें:
प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचें।
चंद्रमा को अर्घ्य देने से पहले व्रत न तोड़ें.
व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों या कार्यों से बचें।
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