Sankashti Chaturthi Vrat: संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत आज, जानें अर्घ्य का शुभ समय

Sankashti Chaturthi Vrat: संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत आज, जानें अर्घ्य का शुभ समय

Sankashti Chaturthi Vrat: आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र हिंदू त्योहार है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष के चौथे दिन (चतुर्थी) को मनाया जाता है। “संकष्टी” शब्द का अर्थ है कठिनाइयों से मुक्ति, और भक्त बाधाओं को दूर करने और ज्ञान प्रदान करने के लिए गणेश (Sankashti Chaturthi) का आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन का पालन करते हैं।

व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) इस उत्सव का एक अभिन्न अंग है, जिसमें भक्त केवल फल, दूध या चंद्रमा को देखने के बाद एक बार भोजन करते हैं। भगवान गणेश को विशेष प्रार्थना और प्रसाद चढ़ाया जाता है, और लोगों को व्रत कथा सुनाई जाती हैं। सबसे महत्वपूर्ण संकष्टी माघ महीने में आती है, जिसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।

Sankashti Chaturthi Vrat: संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत आज, जानें अर्घ्य का शुभ समय

रात 08:50 के बाद होगा अर्घ्य दान

लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि माघ कृष्ण चतुर्थ्यां तु प्रादुर्भूतो गणाधिप:। यह व्रत माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी को किया जाता है। इस वार संकष्टी गणेश चतुर्थी तिथि (Sankashti Chaturthi 2025 Date) के दिन शुक्रवार का दिन मघा नक्षत्र दिन 01:05 तक पश्चात् पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र भोग करेगी। इस दिन सौभाग्य योग मिल रहा है अतः यह व्रत सर्वमंगलकारी है।

                                                        ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय

किसकी और कैसे करें इस दिन पूजा?

ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय बताते हैं कि इस दिन बुद्धि-विद्या वारिधि गणेश तथा चन्द्रमा की पूजा (Ganesh aur Chand ki Puja) करनी चाहिए। दिन भर व्रत रहने के बाद सायं काल चन्द्र दर्शन होने पर दूध का अर्घ्य देकर चन्द्रमा की विधिवत पूजा की जाती है। गौरी-गणेश की स्थापना करके पूजन करके तथा वर्ष भर उन्हें घर में रखा जाता है।

Sankashti Chaturthi Vrat: संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत आज, जानें अर्घ्य का शुभ समय

नैवेद्य सामग्री, तिल, ईख, शकरकंद, अमरूद, गुड तथा घी से चन्दमा एवं गणेश जी को भोग लगाया जाता है। यह नैवेद्य रात्रि भर डलिया इत्यादि से ढंककर यथावत रख दिया जाता है, जिसे पहार कहते है।

पुत्रवती मातायें पुत्र तथा पति की सुख समृद्धि के लिए यह व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) रहती हैं। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उस ढंके हुए पहार को पुत्र ही खोलता है तथा भाई-बन्धुओं में वितरित करना चाहिए, जिससे आपस में प्रेम भावना स्थापित होता है।

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