Saphala Ekadashi: साल की पहली सफला एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम
राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Saphala Ekadashi: इस साल की पहली एकादशी (Saphala Ekadashi) आज यानी 7 जनवरी को मनाई जा रही है। हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी का खास महत्व बताया गया है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष को एकादशी व्रत रखा जाता है और हर माह आने वाली एकादशी का नाम और महत्व दोनों अलग—अलग होता है। तो वहीं पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के रूप में जाना जाता है। सफला एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा और व्रत किया जाता है। मान्यता हैं कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते है और भाग्य के द्वार खुल जाते हैं। तो आइए जानते है कि सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम :—
सफला एकादशी तिथि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) 7 जनवरी की मध्यरात्रि में 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 8 जनवरी की मध्यरात्रि में 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा। उदया तिथि के अनुसार सफला एकादशी 7 जनवरी को है। ऐसे में आज पूरे दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। साथ ही व्रत पारण का समय यानी व्रत तोड़ने का समय 8 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना काफी शुभ माना जाता हैं।
सफला एकादशी का महत्व
धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने जनकल्याण के लिए अपने शरीर से माता एकादशी को उत्पन्न किया था। वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने भी भगवतगीता में एकादशी (Saphala Ekadashi) तिथि को खुद के समान बलशाली और महत्वपूर्ण बताया। साल में आने वाली हर एकादशी का नाम अलग होता है और इनका महत्व भी। लेकिन माना जाता है कि सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने जीवन में हर कार्य में सफलता और परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और भाग्य के द्वार खुल जाते हैं। इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाने का अलग ही महत्व बताया गया है। एकादशी के दिन घर के उत्तर या पूर्व या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से धन वृद्धि होती है।
सफला एकादशी पूजा विधि और नियम
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) के दिन सुबह स्नान करके भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प ले। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराते हुए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ मंत्र का उच्चारण करें। इसके पश्चात वस्त्र,अक्षत, पुष्प, चन्दन, जनेऊ, धूप दीप, पान, नारियल और नैवैद्य आदि अर्पित करे और कपूर से आरती करे। रात के समय जागरण और भगवान का जाप करे। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। लेकिन बात का खास ध्यान रखें कि आज के दिन भूल के भी चावल का सेवन ना करें जो परिवार के सदस्यों के लिए भी चावल ना बनाए। आज के दिन बिस्तर पर सोने की मनाही होती है और जमीन पर सोना शुभ माना जाता है। साथ ही आज किसी प्रकार के फूल पत्तीयां ना तोड़े।
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