seven samples found positive of Mycoplasma pneumonia in Delhi AIIMS

Mycoplasma pneumonia: एक बार फिर चीन के कारण दुनिया में फैल रही ये जानलेवा बीमारी, भारत में मिलें पॉजिटिव…

Mycoplasma pneumonia: अभी कोरोना के गए हुए कुछ समय ही बीता था कि एक बार फिर चीन में दूसरी बीमारी फैलना शुरू हो गई है। डरने की बात ये है कि इस बीमारी ने भारत में भी दस्तक दे दी है। जी हां हम बात कर रहे है माइक्रोप्लाजमा निमोनिया की। चीन के बाद इस बीमारी ने भारत में भी दस्तक दे दी है। अप्रैल से अक्टूबर तक भारत में इस बीमारी के 7 सैंपल पॉजिटिव मिले है। ये सभी टेस्ट दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS) में किए गए हैं। बता दें कि एजेंसी ने अब तक 67 टेस्ट किए थे।

समय-समय पर करता है टेस्टिंग

बता दें कि 30 टेस्ट RTPCR तकनीक से किए गए थे, जिसमें एक सैंपल पॉज़िटिव मिला। वहीं 37 टेस्ट igmElisa टेक्नीक से किए गए जिसमें 6 सैंपल पॉजिटिव मिले। देश में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के लिए ग्लोबल सर्विलांस ग्रुप बना हुआ है जो समय‌ समय पर टेस्टिंग करता रहता है लेकिन इस बार कुछ ज्यादा केस पोजिटिव मिले हैं।

क्या एक दूसरी महामारी बनेगी ये बीमारी ?

पीसीआर और आईजीएम एलिसा परीक्षणों के पॉजिटिविट रेट तीन और 16 परसेंट पाया गया है। यही कारण है कि कोरोना के बाद एक बार फिर लोगों के अंदर इस बीमारी का डर बैठ गया है। ग्लोबली भी इस बीमारी (Mycoplasma pneumonia) के रिकॉर्ड केस बढ़ रहे है। चीन में इस बीमारी के कारण आपातकालीन जैसी स्थिति हो गई है। यूरोपीय देशों में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है।

घबराने की जगह सतर्क रहे

एक्सपर्टस का मानना है कि माइक्रोप्लाजमा निमोनिया का संक्रमण सिर्फ बच्चों में ही फैलता है। एडल्टस में इसका संक्रमण धीरे से ही फैलता है। ऐसी स्थिति में एम्स (AIIMS) की स्टडी जरूर काम आ सकती है। आपको बताते चलें कि AIIMS (दिल्ली) माइकोप्लाज्मा निमोनिया के प्रसार की निगरानी करने वाले ग्लोबल रिसर्च ग्रुप का सदस्य है।

माइकोप्लाज्मा निमोनिया लक्षण और बचाव

माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma pneumonia) का संक्रमण होने पर बच्चों के गले में खराश, थकान महसूस होना, बुखार और लंबे समय तक बनी रहने वाली खांसी और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगते है। कुछ मामलों में मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत होती है। इसे साथ ही ब्लड प्रेशर भी लो होने लगता है। अचानक से सांसों का बढ़ना और घटना भी इस बीमारी का लक्षण है। 7 साल से कम उम्र के बच्चों या 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में बार बार उलटी होना भी इस बीमारी का लक्षण हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे कोरोना महामारी के दौरान लोग प्रोटोकॉल को फॉलो कर रहे थे बस उसी तरह इस बिमारी से भी बचा जा सकता है। माइकोप्लाज्मा निमोनिया वायरस यानी ‘इन्फ्लुएंजा फ्लू’ से बचने के लिए आप दो-दो घंटों में अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं। हाथ सीधे नाक और आंख में टच न करें। जब इन्फ्लुएंजा वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं। इन कणों में माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma pneumonia) वायरस के विषाणु होते हैं। बीमार व्यक्ति से दूरी बना कर रखें। उसे मास्क पहनने को कहें आप भी मास्क पहने, क्योंकि नज़दीक जाने पर ये कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। जब तक जरूरी न हो भीड़भाड़ जैसे हाट-बाजार में जाने से बचें। बिना हाथ धोए कुछ भी न खाएं और बार-बार अपने हाथों को धोते रहें।

ऐसी खबरों को सुनकर पैनिक होने यानी परेशान होने की जरूरत नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि भारत को भी सतर्कता बरतने की जरुरत है, हालांकि भारत में पहले भी इस बीमारी के केस मिले हैं। लेकिन इस बार मामले ज्यादा हैं।

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