Shankaracharya and Ram Mandir: शंकराचार्य होने के क्या मायने हैं? इनके स्थान और मान्यताएं जान लीजिए…
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Shankaracharya and Ram Mandir: अयोध्या को 22 जनवरी 2024 को होने वाले राम प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के निमंत्रण को लेकर राजनैतिक बयानों के साथ साथ धर्म गुरुओं ने भी अपने बयान दिए हैं। शंकराचार्यों (Shankaracharya and Ram Mandir) के बयानों के बाद से राजनीति और धर्म के गलियारों में उठापटक जारी है।
कौन होते हैं शंकराचार्य?
भारत में सनातन संस्कृति और धर्म को बचाए रखने और प्रचार प्रसार के लिए एक परम्परा की स्थापना हुई थी। इसी परम्परा के तहत देश के चारों कोनों में धर्म शास्त्रों के ज्ञाता धर्मगुरुओं गुरुओं का चयन कर उन्हें गद्दी प्रदान कर मठों में पद दिए गए। इन्हीं पदों पर आसीन धार्मिक विद्वानों को शंकराचार्य (Shankaracharya and Ram Mandir) कहा गया। सनातन धर्म में ये पद सर्वोच्च और प्रमुख पद माना जाता है। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने इन मठों अर्थात् पीठों की स्थापना की थी।
शंकराचार्य कौन बन सकते हैं?
शंकराचार्य (Shankaracharya and Ram Mandir) होने की पहली शर्त है सन्यासी होना। सन्यासी होने की पहली शर्त है जाति से ब्राह्मण होना। इसके अलावा धर्म शास्त्रों का ज्ञान, वेदों – उपनिषदों का ज्ञान होना भी इस पद के लिए प्रमुख शर्त है। इसके बाद सनातन धर्म के विद्वानों की एक परिषद जिसे विद्वत परिषद कहा जाता है, वो इन पदों पर धर्म की कसौटियों से परख कर सन्यासियों को स्थापित करते हैं। इन्द्रियों के विजेता और लोभ, क्रोध, मद जैसे अवगुणों को त्यागने वाले को ये पद मिलता है।
भारत चारों दिशाओं में बने मठ और शंकराचार्य
भारत में जगद्गुरु आदि शंकराचार्य (Shankaracharya and Ram Mandir) ने 4 मठों की स्थापना की थी। ये मठ देश की चरों दिशों में स्थापित की गयी। पूर्व में जगन्नाथ पुरी जिसे गोवर्धन मठ के नाम से जाना जाता है, देश के दक्षिण दिशा में रामेश्वरम में शृंगेरी मठ, पश्चिम दिशा में गुजरात राज्य के द्वारका में शारदा मठ और उत्तर दिशा में उत्तराखंड राज्य में बदरिकाश्रम का ज्योतिर्मठ की स्थापना की गयी।
मठों के वर्तमान शंकराचार्य कौन?
4 मठों में चार शंकराचार्य (Shankaracharya and Ram Mandir) हैं। पूर्व के गोवर्धन मठ में स्वामी निश्चला नन्द जी सरस्वती, देश की उत्तर दिशा के उत्तराखंड के बदरिकाश्रम में स्थित ज्योतिर्मठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरा नन्द, पश्चिम दिशा के द्वारका में स्थित शारदा मठ में सदानंद सरस्वती और दक्षिण दिशा में स्थित रामेश्वरम के शृंगेरी मठ में स्वामी भारती तीर्थ शंकराचार्य हैं।
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