Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी कल, इन शुभ मुहूर्तो में करें भगवान विष्णु की पूजा, इन बातों का रखें विशेष ध्यान
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Shattila Ekadashi 2024: कल 06 फरवरी, मंगलवार को षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2024) का व्रत रखा जाएगा। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में षटतिला एकादशी व्रत का खास महत्व है। स्वयं कृष्ण भगवान ने रणभूमि में युधिष्ठिर को इस एकादशी का महत्व समझाया था। षटतिला एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा और काले तिल से स्नान और दान का विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस एकादशी के दिन काले तिल का दान करना स्वर्ण दान करने के बराबर माना जाता है। इस दिन तिल के प्रयोग से जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है और परिवार की दरिद्रता भी दूर होती हैं। बता दें कि षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की तिल से पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इन शुभ मुहूर्तो में करें भगवान विष्णु की पूजा
1. ब्रह्म मुहूर्त : 06 फरवरी की सुबह 05 बजकर 30 मिनट से लेकर 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
2. प्रात: सन्ध्या: प्रात: 05 बजकर 47 मिनट से लेकर 07 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
3. अभिजीत मुहूर्त: दोपहर में 12 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 01 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा।
4. विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर 03 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा।
5. गोधूलि मुहूर्त: शाम 06 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा।
6. सायान्ह सन्ध्या: शाम 06 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 07 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा।
7. अमृत काल: देर रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 07 फरवरी से 01 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगा।
8. निशिता मुहूर्त : 7 फरवरी को 12 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 01 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगा।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान :-
1. एकादशी के दिन ब्रह्मचार्य का पालन
एकादशी के दिन ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। इस दिन अधिक से अधिक भगवान विष्णु की पाठ पूजा और आराधना में समय व्यतीत करे। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा सदैव साधक पर बनी रहती है।
2. एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपना शरीर त्याग दिया था और जब उनके शरीर के टुकड़े धरती पर गिरे तो वह उसी में समा गए। कहा जाता है कि महर्षि मेधा ने एकादशी के दिन ही चावल और जौ के रूप में जन्म लिया था । इसी वजह से इस दिन चावल खाना वर्जित होता है।
3. सात्विक भोजन
एकादशी के दिन साधकों को सिर्फ सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। इस दिन भूलकर भी मास, मंदिरा, प्याज लहसुन और अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए।
4. अभद्र भाषा का प्रयोग
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन भूलकर भी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ में अभद्र भाषा,गाली—गलौच, गलत व्यवहार और अपमान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु नाराज हो सकते है।
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