Sheetla Saptami 2024: शीतला माता को लगाया बासोड़ा का भोग, महिलाओं ने सुख-समृद्धि के साथ रोगों से मुक्ति की प्रार्थना की
Sheetla Saptami 2024: देवास/जैसलमेर। आज शीतला सप्तमी है। आज होली के सातवें दिन माता शीतला को ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है। इसी क्रम में यहाँ के भगतसिंह मार्ग स्थित गोया में शीतला माता मंदिर पर महिलाओं ने प्रातः काल से शीतला माता (Sheetla Saptami 2024) को ठंडे व्यंजनों का भोग लगाकर सुख-समृद्धि के साथ रोगों से मुक्ति की प्रार्थना की।
घर में नहीं जलता है आज चूल्हा
महिलाओं ने पूजा के बाद मां को मीठा भात, खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी,राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी, सब्जी भोग लगाया। आज के दिन घरों में चूल्हा नहीं जलता है और एक दिन पहले बने ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है। इस भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। मान्यता है की शरीर को रोग मुक्त करने के लिए शीतला माता (Sheetla Saptami 2024) का पूजन किया जाता है। शीतला माता के पूजन से चेचक जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है।
इसी को लेकर महिलाएं सुर्योदय से पहले उठकर शीतला माता (Sheetla Saptami 2024) मंदिरों में जाकर पूजा करती है। पूजा के बाद स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है। इसके अलावा शीतला माता की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन महिलाएं माता का व्रत भी रखती है। आज के दिन विधि-विधान से शीतला माता की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।
स्वर्णनगरी जैसलमेर में शीतला सप्तमी की धूम
आज शीतला सप्तमी का त्योहार जैसलमेर में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार संक्रामक रोगों से मुक्ति दिलाने वाली और चेचक रोग से बचाने वाली शीतला माता (Sheetla Saptami 2024) को ठंडे का भोजन और पकवानों का भोग लगाया गया जाता है। जैसलमेर के मूल निवासी शीतला सप्तमी को ही शीतला की पूजा करते हैं। जबकि जैसलमेर को छोड़ कर मारवाड़ और देश भर के अन्य भागों से आए गृहस्थ अष्टमी को भी इस पर्व को पारंपरिक रूप से मनाते हैं।
किले के ऊपर शीतला माता (Sheetla Saptami 2024) मेले में शहरी एवं ग्रामीण से मेलार्थियों के पहुंचने से रौनक नजर आने लगी है। शीतला माता मंदिर पर दर्शनार्थियो का तांता लगा हुआ है। आज सुबह जल्दी उठकर लोग सज-धजकर शहर में स्थित शीतला माता मंदिरों में पूजा-अर्चना की और शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाया। शीतला सप्तमी पर बासी भोजन का महत्त्व है। शीतला सप्तमी के दिन अधिकांश घरों में चूल्हे नहीं जले। भगवती को बासी भोजन का ही भोग लगाया जाता गया। एक दिन पूर्व गृहिणियों ने खाना बनाकर रख दिया था।
क्यों है शीतला सप्तमी का महत्व
शीतला सप्तमी का हिंदुओं में बड़ा धार्मिक महत्व है। लोग माता शीतला का आशीर्वाद पाने के लिए इस शुभ दिन पर देवी शीतला की पूजा करते हैं। यह दिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। शीतला माता का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त इस शुभ दिन पर देवी शीतला की पूजा करते हैं। शीतला सप्तमी का त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस साल शीतला सप्तमी 1 अप्रैल 2024 को मनाई जा रही है। जैसा कि नाम से पता चलता है, “शीतला”, यह नाम संस्कृत शब्द “शीतल” से लिया गया है, जिसका अनुवाद शीतलता होता है। यही कारण है कि आज भक्त शीतला माता को एक रात पहले के बने तरह-तरह के पकवानों को चढ़ाते हैं। इसी प्रसाद को लोग आज भोजन के रूप में ग्रहण भी करते हैं।
माता शीतला प्रतिष्ठित हिंदू देवी हैं जो स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ी हैं। ऐसा माना जाता है कि उनके पास ऐसी शक्तियां हैं जो अपने भक्तों को सभी प्रकार के त्वचा रोगों जैसे चिकन पॉक्स, चेचक और गर्मी और परेशानी पैदा करने वाली बीमारियों से बचाती हैं।
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