Banglades: बांग्लादेश की एक अदालत ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के हालिया भाषण पर रोक लगा दी है। यह फैसला बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने लिया है, जो वर्तमान में शेख हसीना पर लगे ‘सामूहिक हत्या’ के आरोपों की जांच कर रहा है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब हसीना ने न्यूयॉर्क में अपने समर्थकों को वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनके इस भाषण को लेकर बांग्लादेश में कानूनी और राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।
हसीना के भाषण में क्या था?
शेख हसीना ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो लिंक के माध्यम से अपने समर्थकों को संबोधित किया। इस संबोधन के दौरान उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सामूहिक हत्या के आरोप लगाए। हसीना ने दावा किया कि उनके देश छोड़ने से पहले बांग्लादेश में सैकड़ों लोगों की जान गई थी, जिनमें से अधिकांश को पुलिस की गोलीबारी का शिकार होना पड़ा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके पार्टी समर्थकों पर भी ज्यादती और हत्या के मामले सामने आए थे।
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बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के इस भाषण को प्रसारित करने पर रोक लगाने का फैसला लिया है। ट्रिब्यूनल का मानना है कि हसीना का यह भाषण गवाहों और पीड़ित पक्ष को प्रभावित कर सकता है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि ट्रिब्यूनल किस तरह से यह तय करेगा कि शेख हसीना का यह भाषण ‘हेट स्पीच’ के रूप में माना जाएगा और कैसे इसे लागू किया जाएगा।
यह दिलचस्प है कि जिस ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के भाषण पर रोक लगाई है, उसकी स्थापना शेख हसीना के शासन के दौरान 2010 में हुई थी। इस ट्रिब्यूनल का उद्देश्य 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई अत्याचारों की जांच करना था और इसके दोषियों को सजा देना था। लेकिन समय के साथ इस ट्रिब्यूनल को लेकर विवाद गहरा गया, खासकर विपक्षी दलों का आरोप है कि यह शेख हसीना सरकार का एक हथियार बन गया है, जिसके जरिए वह अपने विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करती रही हैं।
बांग्लादेश में प्रेस फ्रीडम की चिंता
इन घटनाओं के बीच बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय, पर हमलों की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इसके साथ ही प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। बांग्लादेश में सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव के बीच मीडिया की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। कई पत्रकारों और मीडिया संगठनों का मानना है कि सरकार की ओर से मीडिया पर दबाव डाला जा रहा है, जिससे स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है।
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इन दिनों बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। शेख हसीना, जो कभी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं, अब भारत में रह रही हैं। उनकी अनुपस्थिति ने बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल को और अधिक जटिल बना दिया है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस द्वारा चलाए जा रहे अंतरिम सरकार के तहत कई राजनीतिक निर्णय लिए जा रहे हैं, जिन्हें लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
हालांकि, शेख हसीना के भाषण पर लगाई गई रोक के बाद बांग्लादेश में राजनीति और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रिब्यूनल के इस फैसले के बाद बांग्लादेश में किस तरह की राजनीतिक गतिरोध पैदा होगा। इसके अलावा, यह भी जानना जरूरी होगा कि प्रेस फ्रीडम और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर बांग्लादेश के समाज में किस तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं।