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शिवसेना का बड़ा आरोप, महाराष्ट्र चुनाव में ‘अडानी राष्ट्र’ की साजिश, जीत को बताया फर्जी!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजे कुछ इस तरीके से आए कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना (शिंदे गुट) ने उद्धव ठाकरे के गुट को भारी शिकस्त दी। हार के बाद, अब शिवसेना के उद्धव गुट ने महायुति की जीत को लेकर जमकर आरोप लगाए हैं। पार्टी ने अपनी मुखपत्र ‘सामना’ में आरोप लगाया है कि इस जीत के पीछे सिर्फ और सिर्फ ‘अडानी राष्ट्र’ की साजिश है। अब इस आरोप से महाराष्ट्र की राजनीति और भी गरमा गई है, और सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या वाकई में यह चुनावी परिणाम सिर्फ पैसे और ताकत का खेल था?

अडानी के लिए ‘चुनाव’ का खेल?

सामना में प्रकाशित एक लेख में आरोप लगाया गया कि महाराष्ट्र चुनावों में धनबल का खुलकर इस्तेमाल हुआ, और सत्ता के नशे में इस चुनाव को लड़ा गया। सामना में लिखा गया, “अगर पैसे के दम पर चुनाव जीतना है, तो फिर लोकतंत्र को ताला लगाकर केवल अडानी की पार्टी ही चुनाव लड़े।” लेख में यह भी कहा गया कि इस जीत के पीछे ‘अडानी राष्ट्र’ की भयानक साजिश है। यानी, जहां एक तरफ मोदी सरकार और राज्य सरकार अडानी के साथ खड़ी है, वहीं महाराष्ट्र का चुनाव परिणाम अडानी की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बदल दिया गया है।

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सामना में आरोप लगाया गया कि पिछले दिनों अमेरिका में अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ था और उसी समय भाजपा ने अडानी के भ्रष्टाचार को समर्थन देने की कोशिश की। लेख में यह भी कहा गया कि अडानी के लिए सारी साजिशें रची जा रही हैं, और अब तो महाराष्ट्र की छाती पर ‘अडानी राष्ट्र’ खड़ा होता दिख रहा है।

चुनाव आयोग पर भी उठाए सवाल

शिवसेना के गुट ने चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया और सवाल उठाया कि चुनाव प्रचार में जातिवाद का जहर क्यों नहीं रोका गया? सामना में कहा गया कि चुनाव आयोग ने इस पर कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई, जब चुनाव प्रचार में खुलेआम जातिवाद का खेल खेला गया। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि पैसे के जरिए वोटों की खरीद-फरोख्त की गई और यह पूरी प्रक्रिया लोकतंत्र के खिलाफ थी।

महाराष्ट्र के किसानों की स्थिति पर सवाल

सामना के लेख में किसानों की स्थिति को लेकर भी कई गंभीर आरोप लगाए गए। इसमें यह कहा गया कि राज्य के किसान कर्ज के तले दबे हुए हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हैं। प्याज, टमाटर, दूध जैसे कृषि उत्पाद सड़कों पर फेंके जा रहे हैं, और फिर भी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। सामना में यह सवाल भी उठाया गया कि कैसे लोग ऐसी सरकार को समर्थन देते हैं, जो किसानों के मुद्दों पर न सिर्फ चुप है बल्कि उनका शोषण भी कर रही है।

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इसके अलावा, लेख में यह भी आरोप लगाया गया कि महाराष्ट्र के उद्योग गुजरात में शिफ्ट हो रहे हैं, जिससे राज्य के युवाओं को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। इन मुद्दों के बावजूद, सरकार को लेकर लोगों का प्रेम दिखने का दावा महज एक दिखावा है, जिसे पैसे और प्रचार के दम पर हवा में उड़ाया जा रहा है।

सामना के लेख में भाजपा सरकार पर यह भी आरोप लगाया गया कि बेरोजगारी के कारण युवा न सिर्फ परेशान हैं बल्कि किसानों के बच्चों की शादी तक नहीं हो पा रही। किसान आत्महत्या कर रहे हैं और राज्य का युवा वर्ग रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहा है।

क्या महाराष्ट्र की अस्मिता खत्म हो गई?

सामना में लिखा गया कि, “यह नतीजा महाराष्ट्र की महानता का अंत है। महाराष्ट्र का तेज़ खत्म हो गया है और अब यह अडानी राष्ट्र का हिस्सा बन चुका है।” शिवसेना उद्धव गुट ने दावा किया कि कुछ ही महीनों पहले महाराष्ट्र ने लोकसभा चुनाव में मोदी-शाह के खिलाफ संघर्ष किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में ये नतीजे इस संघर्ष की हार और महाराष्ट्र के आत्म-सम्मान के टूटने जैसा महसूस हो रहे हैं।

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