Shiva Temples In Rishikesh: ऋषिकेश के इन मंदिरों से भगवान शिव का है सीधा संबंध, जानें कैसे
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Shiva Temples In Rishikesh: उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना (Shiva Temples In Rishikesh) जाता है। उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश को एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। यह जगह घूमने में जितनी सुंदर और आकर्षक है उतनी ही रहस्यमयी और रोचक कहानी इस स्थान पर बनें हुए मंदिर है। हर वर्ष लाखों लोग यहां घूमने व मंदिरों के दर्शन करने के लिए आते है। ऋषिकेश में भगवान शिव के कई मंदिर स्थित है। माना जाता है कि इन मंदिरों का सीधा संबंध भगवान शिव है अर्थात इन मंदिरों में भगवान शिव ने स्वयं दर्शन दिए है। तो आइए जानते है इन मंदिरों के बारे में :-
नीलकंठ महादेव मंदिर
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश में सबसे प्रतिष्ठ मंदिरों में से एक है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को कई तरह के पहाड़ और नदियों से होकर गुजरना पड़ता है। यह मंदिर ऋषिकेश से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर पौड़ी गढ़वाल जिले के मणिकूट पर्वत पर स्थित मधुमती और पंकजा नदी के संगम पर बना हुआ है। सावन माह के दौरान लाखों भक्त इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि सोमवार के दिन नीलकंठ महादेव के दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस मंदिर से जुड़ा इतिहास काफी रोचक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव ने अपने कंठ तक ही सीमित रखा। विष ग्रहण करने के बाद वह एक ऐसे स्थान की तलाश में थे जहां ठंडी वायु मिले। घूमते घूमते भगवान शिव मणिकूट पर्वत पहुंचे और यहां पहुंचकर उन्हें शीतलता मिली। फिर उन्होंने 60 हजार वर्षो के लिए यही पर समाधि लगा कर बैठ गए। इसी वजह से इस स्थान नीलकंठ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर
ऋषिकेश में स्थित चंद्रेश्वर महादेव मंदिर एक सिद्धपीठ है। ऋषिकेश के चंद्रेश्वर नगर चंद्रभागा में स्थित है। यह मंदिर स्कन्द पुराण के अनुसार कहा जाता है कि राजा के दक्ष की 27 पुत्रियों के साथ चंद्रमा का विवाह हुआ था। जिनमें चंद्रमा रेवती को ज्यादा प्रेम करते थे। इसके बाद सभी पुत्रियों ने राजा दक्ष से इस बात की शिकायत की और क्रोध में आकर राजा दक्ष ने भगवान चंद्रमा को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया था। उसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए वह इस स्थान पर आए थे और गंगा किनारे बैठ कर भवगान शिव की आराधना की थी। करीबन 10 हजार वर्षो तक आराधना करने के बाद महादेव ने एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में दर्शन दिए और श्राप से मुक्त कराया।
सोमेश्वर महादेव मंदिर
ऋषिकेश के गंगा नगर में सोमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि सतयुग में सोम ऋषि ने यहां घोर तप किया था जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिन ने उन्हें दर्शन दिए थे। भगवान से कोई भी वरदान ना मांगने की वजह से भगवान शिव ने स्वयं इस स्थान का नाम सोमेश्वर रखा और तभी से इस स्थान को सोमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके बाद भगवान शिव ने स्वयं यहां पर धरती से शिवलिंग प्रकट किया और इस स्थान को सिद्धपीठ घोषित कर दिया। कहा जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम और लक्ष्मण ने इसी शिवलिंग का जलाभिषेक किया था और द्वापर युग में पांच पांडवों ने द्रौपदी संग इस शिवलिंग का जलाभिषेक किया था।
भूतनाथ मंदिर
भगवान शिव को समर्पित भूतनाथ मंदिर से जुड़ी कई तरह की मान्यताएं है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता सती से विवाह करने के लिए आए थे तो मां सती के पिता दक्ष द्वारा भगवान शिव और उनकी बारातियों को इसी स्थान पर ठहराया था। तभी से इस जगह का नाम भूतनाथ मंदिर रखा गया। इस मंदिर को भूतेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस 7 मंजिला मंदिर में हर मंजिल पर अलग अलग भगवान की स्थापना की गई थी। वहीं पहले मंजिल पर भगवान शिव और उनकी बारातियों का चित्रण किया गया है। कहा जाता है कि इस मंदिर जो भी व्यक्ति आता है उसकी भूत प्रेत से जुड़ी बाधा दूर हो जाती है।
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