Shopping Addiction: शॉपिंग की लत है इस बीमारी का संकेत, जानिए कैसे मिलेगा इससे छुटकारा

Shopping Addiction: शॉपिंग की लत है इस बीमारी का संकेत, जानिए कैसे मिलेगा इससे छुटकारा

Shopping Addiction: शॉपिंग करना भला किसे पसंद नहीं है। खासकर महिलाओं की बात करें तो उनकी लाइफ में एक बहुत बड़ा हिस्सा शॉपिंग के बिना अधूरा होता है। फिर चाहे वो रोज़ाना सामान्य दिनों के लिए हो, ऑफिस के लिए, किट्टी पार्टी या किसी अन्य मौके के लिए। शॉपिंग के बिना गुजारा नहीं है। लेकिन यही शॉपिंग अगर लत (Shopping Addiction) में तब्दील हो जाए तो यह बीमारी का भी रूप ले सकती है।

आजकल की लाइफस्टाइल में घर बैठे ही जहां मोबाइल के एक क्लिक पर शॉपिंग के अनेकों ऑप्शन मौजूद हो ऐसे में इस बीमारी का महामारी (Shopping Addiction) में बदलना थोड़ा आसान है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया भर में लगभग 40 करोड़ लोग शॉपिंग एडिक्शन (People With Shopping Addiction) के शिकार हैं।

क्या है शॉपिंग एडिक्शन?

शॉपिंग एडिक्शन या खरीदारी की लत, जिसे मेडिकल भाषा में हम कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर या ओनियोमेनिया (oniomania) कहते हैं, एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जहां व्यक्तियों को खरीदारी करने की अत्यधिक इच्छा होती है, जो अक्सर उनकी क्षमता से परे होती है। लोग तनाव से राहत, ऊब, या अस्थायी खुशी को खोजने के लिए शॉपिंग एडिक्शन के शिकार हो जाते हैं। खरीदारी के आदी लोग अक्सर ऐसी वस्तुएं खरीद लेते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता नहीं होती है, जिससे वित्तीय तनाव, भावनात्मक परेशानी और रिश्ते ख़राब हो जाते हैं।

दुनिया भर में कितने लोग हैं शॉपिंग एडिक्शन के शिकार

एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक आबादी का 5-8% खरीदारी की लत (Suffering from Shopping Addiction) से पीड़ित है। हालांकि, इसकी सटीक संख्या अध्ययन और क्षेत्रों के आधार पर भिन्न होती है। खरीदारी की लत, या ओनियोमेनिया, पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करती है। वैसे महिलाएं आमतौर पर बाध्यकारी खरीदारी व्यवहार की अधिक शिकार होती हैं।

शर्म और गोपनीयता की भावनाओं के कारण इस स्थिति को अक्सर कम रिपोर्ट किया जाता है। संस्कृति, सामाजिक आर्थिक स्थिति और ऋण तक पहुंच जैसे कारक भी खरीदारी की लत की व्यापकता को प्रभावित करते हैं। हालांकि, एक सटीक आंकड़ा निर्धारित करना मुश्किल है, लेकिन माना जाता है कि दुनिया भर में करोड़ों लोग इस विकार के परिणामों का सामना करते हैं, जिसमें वित्तीय बर्बादी, भावनात्मक संकट और घर में रिश्तों का ख़राब होना शामिल हैं।

शॉपिंग एडिक्शन के लक्षण

खरीदारी करने की बेचैनी: खरीदारी करने की निरंतर इच्छा, अक्सर अनावश्यक वस्तुओं के लिए, भले ही यह आर्थिक रूप से नासमझी हो।
खरीदारी के माध्यम से भावनात्मक राहत: खरीदारी का उपयोग तनाव, चिंता, ऊब या अवसाद से निपटने के लिए एक किया जाता है।
खरीदारी के बाद पछतावा: खरीदारी के बाद, व्यक्ति अक्सर पछतावा फील करता है या अपनी खरीदारी से असंतुष्ट महसूस करता है।
खरीदारी छिपाना: आलोचना से बचने के लिए परिवार, दोस्तों या प्रियजनों से खरीदारी की आदतें छिपाना।
वित्तीय समस्याएं: नियमित रूप से बजट से अधिक होना, जिससे घर में फाइनेंसियल प्रॉब्लम होती है।
दैनिक जीवन में हस्तक्षेप: खरीदारी की आदतें काम, रिश्तों और जीवन के अन्य आवश्यक पहलुओं में हस्तक्षेप करने लगती हैं।

शॉपिंग एडिक्शन कैसे करें दूर?

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, शॉपिंग एडिक्शन (Measures to get rid of Shopping Addiction) दूर करने के लिए सबसे पहले आप यह स्वीकार करें कि इस समस्या के शिकार हो चुके हैं। स्वीकार करें कि खरीदारी एक बाध्यकारी आदत बनती जा रही है जो आपके जीवन और रिश्तों और वित्त पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। यदि आप किसी ऐसी समस्या से जुंझ रहे हैं तो तकाल डॉक्टर की हेल्प लें। अनुभव साझा करने और समान संघर्षों का सामना कर रहे अन्य लोगों से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए डेबटर्स एनोनिमस जैसे समूहों में शामिल होना भी इस समस्या से निजात दिला सकता है।

हर महीने घर का एक बजट बनाएं और समझदारी से खर्च को (How to keep Away from Shopping Addiction) सीमित करते हुए उस पर कायम रहें। खरीदारी करते समय अतिरिक्त नकदी या क्रेडिट कार्ड ले जाने से बचें। उन स्थानों, वेबसाइटों या स्थितियों से दूर रहें जो आवेगपूर्ण खरीदारी की ओर ले जाती हैं। मार्केटिंग ईमेल से सदस्यता समाप्त करें और ऑनलाइन स्टोर ब्राउज़ करने से बचें।

अपने लक्ष्यों को करीबी दोस्तों या परिवार के साथ साझा करें जो आपको जवाबदेह बनाए रखने और स्वस्थ व्यवहार को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकते हैं। खरीदारी और भावनाओं पर नज़र रखने के लिए एक डायरी रखें और लत पर काबू पाने की कोशिश करें।

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