Tesu Phool Holi: रंगभरी एकादशी पर टेसू के पानी से खेली जाती है होली, जानें इसका महत्व

Tesu Phool Holi: 14 मार्च को रंगों और खुशियों का त्योहार यानी होली खेली जाएगी। रंग वाली होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है। हालांकि, होली का जश्न पूर्णिमा से पहले एकादशी को मनाई जाने वाली रंगभरी एकादशी से ही शुरू हो जाता है। रंगभरी एकादशी को आमलकी या आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा की जाती है। इस बार रंगभरी एकादशी 10 मार्च को है।

बता दें कि रंगभरी एकादशी को टेसू के फूलों के पानी से भगवान के साथ होली खेली जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि इसका क्या महत्व है, तो चलिए आपको टेसू के पानी से होली खेलने के महत्व के बारे में बता देते हैं।

टेसू के पानी से होली खेलने का महत्व

बता दें कि होली की शुरुआत रंगभरी एकादशी से ही होती है। ऐसे में सबसे पहले रंग भगवान के साथ खेला जाता है, क्योंकि ऐसा करना शुभ होता है। अब बात करते हैं टेसू के फूलों से होली खेलने की, तो इससे इसलिए होली खेली जाती है, क्योंकि टेसू के फूल भगवान कृष्ण को काफी पसंद होते हैं। इसके अलावा, इन्हें भगवान को अर्पित करने से हर तरफ खुशियां फैलती हैं। साथ ही इसकी खुशबू भी काफी अच्छी होती है।

भगवान कृष्ण को बेहद पसंद है टेसू के फूल

बता दें के टेसू के फूलों की खुशबू से मानसिक शांति और खुशी का अनुभव भी होता है। इसलिए इस फूल का इस्तेमाल हर मंदिर में होता है। अगर आप ब्रज या बरसाना जाएंगे, तो आप वहां के लोगों को टेसू के फूलों से होली खेलते हुए देख सकते हैं, क्योंकि इसका इतिहास काफी पुराना है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को टेसू के फूल बहुत प्रिय हैं और कृष्ण लीलाओं में भी इस फूल का वर्णन मिलता है। ऐसे में रंगभरी एकादशी पर आप भी टेसू के फूलों या इसके पानी से होली खेल सकते हैं।

टेसू के फूल का पानी कैसे करें तैयार?

आप घर पर टेसू के फूलों का पानी बना सकते हैं। इसके लिए फूलों को एकादशी से एक दिन पहले तोड़ लें और आधी बाल्टी में भिगोकर रख दें। ऐसा करने से फूलों की खुशबू और रंग पानी में घुल जाते हैं, जिसमें और पानी मिलाकर आप होली खेल सकते है। इससे कोई एलर्जी भी नहीं होती है, तो यह स्किन के लिए भी बिल्कुल सुरक्षित है।

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