Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। यह भगवान शिव और पवित्र पीपल के पेड़ को समर्पित होता है। इस दिन (Somvati Amavasya 2024) लोग अपने परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली के लिए व्रत रखते हैं। विवाहित महिलाएं विशेष रूप से अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
आज है 2024 की अंतिम सोमवती अमावस्या
प्रत्येक वर्ष 12 अमावस्याएं मनाई जाती हैं। ये दिन पूर्वजों की पूजा-पाठ को समर्पित होता है। पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त होते हैं। अमावस्या जब सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya Hai Aaj
) कहते हैं और अमावस्या जब शनिवार के दिन पड़ती है तो उसे शनि अमावस्या कहते हैं। साल 2024 की अंतिम सोमवती अमावस्या, जिसे पौष अमावस्या भी कहते हैं, आज मनाई जा रही।
सोमवती अमावस्या प्रारम्भ – 05:31, दिसम्बर 30
सोमवती अमावस्या समाप्त – 05:26, दिसम्बर 31
सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya Significance) हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक महत्व रखती है। भगवन शिव के दिन सोमवार के नाते इस अमावस्या का आध्यात्मिक लाभ बहुत अधिक हो जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान शिव और पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं, जिन्हें जीवन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठान, जिनमें पवित्र नदी स्नान भी शामिल है, पापों को शुद्ध करते हैं और पूर्वजों की आत्मा को शांति देते हैं। विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और पारिवारिक खुशहाली के लिए विशेष प्रार्थना करती हैं। यह दिन भक्ति, प्रकृति पूजा और आध्यात्मिक नवीनीकरण के मिलन को रेखांकित करता है।
सोमवती अमावस्या पर जरूर करें ये पांच काम
व्रत का पालन करें- श्रद्धालु, विशेष रूप से महिलाएं, भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि के रूप में एक दिन का उपवास रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत समृद्धि लाता है, पारिवारिक सद्भाव की रक्षा करता है और विवाहित महिलाओं के लिए पतियों की लंबी उम्र सुनिश्चित करता है।
पीपल के पेड़ की पूजा करें- पवित्र पीपल के पेड़ पर जल, दूध और धूप चढ़ाते हुए 108 बार परिक्रमा करें। पेड़ को एक दिव्य इकाई माना जाता है, जो भगवान विष्णु का प्रतीक है और इसकी पूजा से स्वास्थ्य और धन का आशीर्वाद मिलता है।
श्राद्ध और तर्पण करें- भोजन, जल अर्पित करके दिवंगत पूर्वजों का सम्मान करें। ऐसा माना जाता है कि ये अनुष्ठान (Somvati Amavasya 2024 Vrat) उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं और परिवार की प्रगति में किसी भी पैतृक श्राप या बाधाओं को दूर करते हैं।
पवित्र स्नान करें- गंगा, यमुना या नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह पापों धोता है, आध्यात्मिक शुद्धता बढ़ाता है और दैवीय आशीर्वाद को आकर्षित करता है।
भगवान शिव की पूजा करें- किसी शिव मंदिर (Somvati Amavasya Kaise Manayen) में जाकर विशेष पूजा करें और भगवान शिव को दूध, बिल्व पत्र और फल चढ़ाएं। “ओम नमः शिवाय” का जाप और शिव चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक विकास बढ़ता है और दैवीय सुरक्षा मिलती है।
यह भी पढ़ें: Paush Purnima 2025: इस दिन है नए साल की पहली पूर्णिमा, जानें क्यों है इसका बहुत महत्व?