पॉलिटिक्स में नहीं आना चाहती थीं सोनिया गांधी, जानिए उनका सियासी सफर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस का 85वां अधिवेशन चल रहा है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने बड़ा बयान दिया है।
सोनिया गांधी ने संकेत दे दिया है कि उनका राजनीतिक करियर खत्म होने वाला है। इस बीच, उन्होंने कहा, “कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा मेरे राजनीतिक पारी का आखिरी चरण हो सकती है।” उनके इस बयान से चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वह जल्द ही राजनीति से संन्यास ले लेंगी।
सोनिया गांधी के राजनीतिक करियर पर नजर डालें तो वह कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। ख़ास बात यह है कि वह अपने पति राजीव गांधी को राजनीति में नहीं आने के लिए कहती थीं, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी को भी राजनीति में आना पड़ा।
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सोनिया गांधी और राजीव गांधी की प्रेम कहानी
राजीव गांधी और सोनिया गांधी की प्रेम कहानी तो आप जानते ही होंगे। इटली में जन्मीं सोनिया गांधी राजीव गांधी से पहली बार कैंब्रिज में मिलीं। दोनों में दोस्ती हुई और दोस्ती प्यार में बदल गई। राजीव गांधी चिट्ठी के जरिए इंदिरा गांधी को सोनिया के बारे में बताते थे।
सोनिया जब पहली बार इंदिरा गांधी से मिलीं तो उस मुलाकात के दौरान सोनिया काफी घबराई हुई थीं। इंदिराजी ने दौरान सोनिया को बहुत निश्चिंत करने की कोशिश की। सोनिया जानती थीं कि राजीव गांधी का एक राजनीतिक परिवार है, लेकिन सोनिया गांधी को लगता था कि राजीव गांधी को कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहिए, उन्होंने अक्सर शादी से पहले भी इस बात का इजहार किया।
25 फरवरी, 1968 को सोनिया गांधी और राजीव गांधी ने शादी कर ली। राजीव गांधी हमेशा से पायलट बनना चाहते थे। इसलिए वे एयर इंडिया में बतौर पायलट काम करते थे।
इंदिरा गांधी जब देश की प्रधानमंत्री थीं तब भी वे पायलट की नौकरी करते थे। उस समय उनके भाई संजय गांधी इंदिरा गांधी के साथ राजनीति में सक्रिय थे। लेकिन 1980 में विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी को राजनीति में आना पड़ा। तब भी सोनिया गांधी ने राजीव गांधी को राजनीति में नहीं आने को कहा था। बाद में 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी का सारा भार और प्रभाव राजीव गांधी पर आ गया।
सोनिया गांधी के जीवन में बुरा दौर
सोनिया और राजीव गांधी के जीवन के पहले 13 साल राजनीतिक उतार-चढ़ाव से भरे रहे। क्योंकि परिवार में एक के बाद एक दर्दनाक घटनाएं हो रही थीं। पहले संजय गांधी की आकस्मिक मौत और उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या। इसी दुख से उबरने के दौरान इंदिरा गांधी की हत्या के सात साल बाद 1991 में राजीव गांधी की भी हत्या कर दी गई थी।
इटली से आई सोनिया गांधी के लिए यह हत्याकांड असहनीय था। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद भी वे अक्सर राजीव गांधी को राजनीति से दूर रहने की सलाह देते थे। उनके दिल में डर सच था। राजीव गांधी की मृत्यु के बाद यह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया।
सोनिया गांधी का राजनीतिक करियर
राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस दिन-ब-दिन पीछे हटती जा रही थी। कांग्रेस को एक अच्छे नेतृत्व की जरूरत थी। इस वजह से राजीव गांधी की हत्या के 7 साल बाद 1998 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली। वे 2017 तक 22 साल तक अध्यक्ष पद पर रहे। बाद में 2019 में राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद वह दोबारा अध्यक्ष बनीं।
अपने राजनीतिक जीवन के दौरान उन्हें अपने विदेशी जन्म के मुद्दे पर हमेशा आलोचना का सामना करना पड़ा। लेकिन वह अडिग रही। उन्होंने कई सलाहकार समितियों की अध्यक्षता की। सोनिया गांधी को अक्सर दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में गिना जाता रहा है।
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