MahaKumbh 2025: भारत के प्रसिद्ध संत श्री रमेश भाई ओजा ने कुंभ मेला के दौरान अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इसका आध्यात्मिक महत्व सभी को समझाया। उन्होंने बताया कि हर 12 साल में एक महाकुंभ होता है, लेकिन खास तौर पर यह 144 वर्षों में एक बार आता है। इस समय को “अमृत बेला” कहा जाता है, जो हमें जीवन में शाश्वत सत्य की खोज करने का एक अनमोल अवसर देता है।
जानें अमृत बेला का महत्व
भाई श्री ने कहा कि अमृत बेला वह खास समय है जब हम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ध्यान और चिंतन करते हैं। अगर हम इस समय का सही तरीके से उपयोग करें, तो न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि हमारे भौतिक जीवन में भी सुधार आता है। उन्होंने इसे खेती के उदाहरण से समझाया, जैसे हर मौसम में फसलों की पैदावार अलग होती है, वैसे ही अमृत बेला में किए गए कार्यों का भी विशेष लाभ मिलता है।
ज्ञान की प्राप्ति का है यह समय
भाई श्री ने कुंभ मेले के दौरान धर्म और आध्यात्मिक चर्चा की अहमियत पर बात की। उन्होंने कहा कि कुंभ में सिर्फ स्नान और पुण्य कर्म ही नहीं, बल्कि सत्संग भी जरूरी है। यह समय ज्ञान की प्राप्ति का है। उनका मानना था कि कुंभ मेला एक ऐसा खास अवसर है, जहां भक्त और साधक अपने जीवन को सुधारने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं।
सिर्फ घूमने के लिए न आए कुंभ
भाई श्री ने प्रयागराज को तीर्थराज मानते हुए कहा कि यहां आने से पहले हमें कुछ नियमों और मर्यादाओं का ध्यान रखना चाहिए। यह यात्रा सिर्फ घुमने के लिए नहीं है, बल्कि आत्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ मेला केवल व्यापार या मनोरंजन का मौका नहीं है, बल्कि यह एक साधक के रूप में यात्रा करने का सही समय है।
71 देशों से आ रहे लोग
भाई श्री ने कहा कि 71 देशों के लोग इस कुंभ मेला में शामिल होने के लिए आए हैं। यह वे लोग हैं जो भारत की सनातन धर्म की उदार सोच को समझेंगे। इस आयोजन के माध्यम से दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का संदेश फैलता है।
भाई श्री ने अपने संदेश में कहा कि हमें इस खास समय का पूरा फायदा उठाना चाहिए। इस अमृत बेला में जो समय मिल रहा है, उसका सही उपयोग करते हुए हमें अपनी आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।