suicide : MP में दो स्टूडेंट ने की आत्महत्या, आखिर क्यों दबाव में आकर ऐसा कदम उठा रहे स्टूडेंट ?
suicide : खरगोन/ बुरहानपुर । मध्यप्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम घोषित किया तो कोई अच्छा रिजल्ट देख खुश हुआ, तो कोई मायूस, लेकिन इस खुशी और मायूसी के बीच कुछ दुखद खबरों से मातम भी छा गया है। जी हां बोर्ड एग्जाम में अपने रिजल्ट से नाखुश दो स्टूडेंट फंदे पर झूल गए और जीवन लीला समाप्त कर ली। ऐसे आत्मघाती कदमों ने ना केवल मां बाप का दिल तोड़ा है बल्कि परिवार और मोहल्लों में भी मातम पसर गया है।
सप्लीमेंट्री आई तो पंखे से लटका रितेश
बुरहानपुर के संजय नगर निवासी रितेश मांडगे हाट बाजार में व्यापार के लिए गया था। दोस्तों से पता चला कि उसके सप्लीमेंट्री आई है। जिसके बाद रितेश मायूस होकर घर आ गया। कमरे को बंद कर पंखे पर फंदा लगाकर उसने आत्महत्या कर ली। परिजनों ने पुलिस को बुलाया और शव को जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया। बेटे की विदाई के वक्त परिजन और आस पड़ोस के लोग भी रो पड़े।
दूसरी बार 12 वीं में फेल हुई तो मौत को चुना
भिखरखेड़ी हाल डाबरिया फल्या निवासी कुवार सिंह सोलंकी की लाडली बेटी 19 वर्षीय रानी पिछले साल 12वीं में असफल हो गई थी। लेकिन इस बार उसे पूरा भरोसा था कि वो पास होगी। लेकिन जब रिजल्ट देखा तो वो फिर से फेल हो गई। इस रिजल्ट से रानी बहुत दुखी थी। स्ट्रेस में आकर रानी ने पेड़ पर चुन्नी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। जवान बेटी की मौत ने परिवार वालों को भी भीतर तक तोड़ दिया। रो रोकर परिजनों का हाल बेहाल था।
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जानिए आत्महत्या की आखिर वजह क्या है ?
इस तरह हो रही आत्महत्या की आखिर वजह क्या हो सकती है ? इस पर विचार किया जाए तो सामने आता है घरेलू दबाव, सामाजिक दबाव और आसपास का वातावरण। मनो चिकित्सकों का मानना है कि कई बार एक साधारण दिमाग वाले बच्चे से परिजन बहुत ज्यादा अपेक्षा करने लग जाते हैं। वहीं आस पड़ोस के लोग भी अपने होशियार बच्चों से या अन्य बच्चों से तुलना करने लग जाते हैं। जिससे स्टूडेंट अपने घर में ही मानसिक रूप से बीमार होने लग जाता है। फिर सभी की उम्मीदों के मुताबिक रिजल्ट ना आने पर स्टूडेंट टूट जाता है। उसे फिर आखिरी रास्ता फांसी का फंदा ही दिखता है।
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परिजन मित्र बन स्टूडेंट का तनाव करें कम
इस समस्या का एकमात्र सामधान भी घर में ही है। परिजनों को स्टूडेंट लाइफ जी रहे बच्चों पर पूरी नजर बनाई रखनी चाहिए। बच्चों के ऊपर अनावश्यक दबाव ना डालते हुए उसकी इच्छा को जाने और बच्चे की क्षमता के अनुसार ही उम्मीद रखें। मित्र बनकर बच्चे के मन में चल रही बातों को बाहर निकलवाएं। जिससे बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ रहेगा और आत्महत्या जैसे कदम नहीं उठाएगा।