पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल (sukhbir badal) को सोमवार को डेरा प्रमुख राम रहीम ( ram rahim ) को माफी दिलाने के मामले में अकाल तख्त (akal takht) ने सजा सुना दी है। सुखबीर बादल को स्वर्ण मंदिर परिसर (golden temple) में शौचालय साफ करने और बर्तन धोने समेत अन्य धार्मिक दंड दिया गया है। यह सजा 2015 की अकाली सरकार के अन्य कैबिनेट सदस्यों को भी सुनाई गई है। इस मामले को लेकर अकाल तख्त ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दी गई ‘फकर-ए-कौम’ उपाधि भी वापस ले ली।
क्या है मामला
दरअसल, साल 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने गुरु गोबिंद सिंह की तरह वेशभूषा धारण करके अमृत छकाने का काम किया था। इस मामले को लेकर उसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज हुआ था। लेकिन 2015 में पंजाब की अकाली सरकार के मुख्यमंत्री रहे सुखबीर बादल ने डेरा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। बादल ने राम रहीम को सजा दिलवाने की जगह उसके खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले लिया था।
लेकिन अकाल तख्त साहिब ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। जिसके बाद इस मामले को लेकर अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से का सामना करना पड़ा था। अकाल तख्त ने सुखबीर बादल और उस समय की कैबिनेट के अन्य सदस्यों की जवाबेदही तय की थी।
दो महीने पहले बादल को तनखाहिया घोषित किया गया था
इस मामले में दो महीने पहले ही अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को तनखाहिया ( धार्मिक दुराचार को दोषी) घोषित किया था। वहीं आज सुखबीर सिंह बादल ने स्वीकार किया है कि उन्होंने राम रहमी को माफी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस मामले को लेकर आज अकाल तख्त में पांच सिंह साहिबानों की बैठक हुई। जिसमें सुखबीर बादल और अकाली सरकार के दौरान कैबिनेट मंत्री रहे सदस्यों को धार्मिक दुराचार के आरोपों की सजा सुनाई गई है।
सुखबीर बादल का इस्तीफा
इस दौरान अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल की कार्य समिति को तीन दिनों के अंदर सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश दिया है। साथ ही अकाल तख्त साहिब को रिपोर्ट करने के लिए भी बोला है। इसके अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल कार्य समिति को सदस्यता अभियान शुरु करने और छह महीने के अंदर नया अध्यक्ष चुनने का निर्देश भी दिया है।
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