Supreme Court Rejects Review Petitions on 'Same-Sex Marriage

सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन की याचिका पर कड़ी टिप्पणी की, कहा- “जेल में बैठे लोग चुनाव नहीं लड़ सकते”

दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। ताहिर हुसैन का कहना था कि उन्हें चुनाव प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दी जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि जेल में बैठकर चुनाव लड़ना आसान है, ऐसे आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।

क्या था पूरा मामला?

ताहिर हुसैन, जो दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपियों में से एक हैं, को हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने पैरोल पर बाहर आने की अनुमति दी थी ताकि वह चुनावी नामांकन दाखिल कर सकें। अब ताहिर हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। ताहिर हुसैन को इस बार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया है। उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल ने कहा, “जेल में बैठकर चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्तियों को चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह के लोगों पर पाबंदियां लगनी चाहिए, और उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए।

ताहिर हुसैन पर क्या आरोप हैं?

ताहिर हुसैन 2020 के दिल्ली दंगों के प्रमुख आरोपियों में से एक हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दंगों के दौरान कई आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया और आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या में भी उनका हाथ था। ताहिर हुसैन उस समय आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद थे, लेकिन दंगों के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था।हालांकि, इस बार ताहिर हुसैन को AIMIM ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है, और अब वह मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। इसके लिए उन्होंने चुनाव प्रचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, “ऐसे लोग, जिन पर गंभीर आरोप हैं और जो जेल में हैं, उन्हें चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखा जाना चाहिए। ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए ताकि लोकतंत्र की पवित्रता बनी रहे।” जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि चुनाव लड़ने का यह तरीका सही नहीं है। जेल में बैठे लोग चुनाव प्रचार कर रहे हैं, यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार के मामलों में कड़ी पाबंदी लगानी चाहिए ताकि ऐसे लोग चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा न बनें। यह बयान उस समय आया जब ताहिर हुसैन के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि चुनाव आयोग ने उनका नामांकन स्वीकार कर लिया है, और अब चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने याचिका पर कल सुनवाई के लिए तय किया वक्त

सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन की याचिका पर आज सुनवाई की और इसके बाद मामले की अगली सुनवाई कल, यानी 21 जनवरी को तय की। इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत की याचिका पर फैसला ले सकता है। फिलहाल, मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियां यह दिखाती हैं कि वह इस मुद्दे पर बहुत गंभीर है।

जेल में बैठे लोगों को चुनावी राजनीति से रखना चाहिए बाहर

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह साफ कर दिया है कि जेल में बैठे हुए आरोपी और गंभीर अपराधों में लिप्त लोग चुनावी राजनीति से बाहर रहना चाहिए। ऐसा न केवल लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि यह राजनीति की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए भी अहम है।

क्या इस फैसले से चुनावी राजनीति पर असर पड़ेगा?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से चुनावी राजनीति में सुधार हो सकता है। यदि यह रवैया आगे बढ़ता है, तो उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है जिनके खिलाफ गंभीर अपराधी मामलों का सामना चल रहा है। यह राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ को रोकने में मदद करेगा।

ताहिर हुसैन की याचिका पर भविष्य में क्या होगा?

अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट कल, यानी 21 जनवरी को इस मामले पर क्या निर्णय लेता है। अगर ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं मिलती है, तो यह उनकी राजनीति में आने की संभावनाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर सकता है। इसके अलावा, यह पूरे चुनावी सिस्टम में एक बड़ा संदेश भी जाएगा कि अपराधियों को राजनीति से बाहर रखा जाना चाहिए।

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