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Supreme Court ने पुराना फैसला पलटा, वोट के बदले नोट मामले में नहीं मिलेंगी एमपी-एमएलए को मुकदमा से छूट

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों-विधायकों को वोट के बदले नोट लेने के मामले में मुकदमे से मिली राहत पर असहमति जताई है। जिसके साथ साल 1998 में दिए अपने पिछले फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वोट के बदले नोट मामले में एमपी-एमएलए को छूट देने से इनकार कर दिया है।

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विशेषाधिकार के तहत छूट नहीं

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा संसदीय विशेषाधिकार के तहत रिश्वत की छूट नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की पीठ ने मामले पर फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश के साथ पीठ में जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेपी पारदीवाला, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार शामिल रहे।

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एससी ने अपना ही फैसला पलटा

सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए पिछले फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के नरसिम्हा राव के फैसले को पलट है। तब 1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया कि इस मुद्दे को लेकर जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से फैसले को पलटने के चलते सांसद-विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेकर मुकदमे की कार्रवाई से नहीं बच सकते हैं।

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पीएम नरेन्द्र मोदी का आया बयान

अब शीर्ष न्यायालय के इस फैसले पर पीएम मोदी का रिएक्शन आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट का एक महान निर्णय लिया है, जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा। संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर सांसद पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देते हैं। तो उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए कहा कि घूसखोरी की कोई छूट नहीं है, चाहे वो सांसद हो या विधायक हो।