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कौन था दिल्ली में नरसंहार करने वाला तैमूर? जिसकी तुलना खरगे ने BJP से कर दी

Tamerlane

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तीखी आलोचना की। खरगे ने भाजपा की राजनीति को सम्राट तैमूर लंग से जोड़ते हुए कहा कि भाजपा अब ‘तैमूर लंग’ की तरह सत्ता पर काबिज हो रही है। उन्होंने बयान में कहा, “मोदी है तो सब है, यह कहते थे, अब मोदी की गारंटी भी गई और 400 पार भी गया। अब दूसरों के कंधों पर सवार होकर तैमूर लंग की तरह हुकूमत कर रहे हैं।” खरगे की यह तुलना भाजपा की सत्ता की तानाशाही प्रवृत्तियों और विपक्षी दलों के प्रति उसके रवैये को लेकर थी। इस बयान ने सियासी गलियारों में तूफान मचा दिया है, और अब सवाल यह उठ रहा है कि तैमूर लंग कौन था, और क्यों कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा की तुलना उससे की?

mallikarjun kharge and pm modi

कौन था तैमूर लंग?

तैमूर लंग (Tamerlane) एक तात्कालिक मध्यकालीन सम्राट था, जिसने 14वीं सदी के अंत में एशिया, मध्य एशिया और भारत के कुछ हिस्सों में राज किया। तैमूर लंग का जन्म 1336 में हुआ था । उसका असली नाम तिमूर था और वह समरकंद का बादशाह था। तैमूर ने मध्य एशिया, एशिया माइनर और भारत के कुछ हिस्सों में अपनी तादाद बढ़ाई। तैमूर का खौ़फ और उसकी बर्बरता आज भी इतिहास में याद की जाती है। उसने अपनी सेना के साथ लगातार हमले किए और कई राज्यों को नष्ट कर दिया। तैमूर की युद्धनीतियों और उसकी क्रूरता ने उसे एक बर्बर और भयभीत शासक बना दिया, जिसका नाम दिल्ली के किलों तक गूंजता है।

तैमूर ने दिल्ली में तीन दिनों तक कत्लेआम किया

1398 में तैमूर ने दिल्ली पर हमला किया, जो उस समय सुलतान महमूद शाह और उनके सुल्तान मल्लू ख़ां द्वारा शासित था। तैमूर ने दिल्ली तक पहुंचने के लिए कठिन रास्ते पार किए, जिसमें बर्फीली पहाड़ियां, रेगिस्तानी इलाके और जंगली इलाके शामिल थे। समरकंद से दिल्ली की दूरी लगभग 1000 मील थी, लेकिन तैमूर के लक्ष्य को हासिल करने की बेताबी ने उसे इस कष्टकारी यात्रा से नहीं रोका। दिल्ली पहुंचने के बाद तैमूर ने न सिर्फ लूटपाट की, बल्कि एक भयानक नरसंहार किया।

दिल्ली में तैमूर का स्वागत बेहद खूंखार तरीके से हुआ। दिल्ली के सुलतान महमूद और उनके मुख्य सैन्य अधिकारी मल्लू ख़ां ने तैमूर से लड़ने के लिए सेना तैयार की थी। 17 दिसंबर 1398 को दोनों सेनाओं के बीच लड़ाई हुई, लेकिन तैमूर की ताकतवर और अनुभवी सेना के सामने दिल्ली की सेना टिक नहीं पाई। हालांकि, तैमूर को भारतीय हाथियों से डर था, क्योंकि उसने सुना था कि ये हाथी बहुत ताकतवर होते हैं और इनका सामना करना मुश्किल है। इस डर को तैमूर ने अपनी आत्मकथा में भी ज़ाहिर किया है, लेकिन उसने इससे निपटने के लिए एक अजीब और क्रूर तरीका अपनाया।

कौन था तैमूर लंग?

तैमूर ने भारतीय हाथियों से लड़ाई के दौरान अपने ऊंटों की पीठ पर आग लगवाकर हाथियों की ओर भेजा। जैसे ही हाथी आग देखे, वे डर गए और दौड़ते हुए अपनी ही सेना को कुचलने लगे। इसके बाद तैमूर ने एक के बाद एक इन हाथियों पर हमला किया। उसने अपनी पूरी सेना को आदेश दिया कि हाथियों को नष्ट किया जाए, और इसके बाद तैमूर खुद तलवार और कुल्हाड़ी लेकर युद्ध में कूद पड़ा। उसकी इस बर्बरता ने दिल्ली में एक भयंकर नरसंहार मचाया।

तैमूर ने दिल्ली में अपने सैनिकों को पूरी तरह से लूटमार करने की छूट दी थी। कई दिनों तक वह दिल्ली में ही रहा, जहां उसने न सिर्फ दिल्ली को लूटा, बल्कि वहां के लोगों के साथ भी बर्बरता की। कहते हैं कि तैमूर ने दिल्ली की सड़कों पर कटे हुए सिरों की मीनारें बनवायीं। तीन दिन तक लगातार कत्ल-ए-आम जारी रहा, और इस दौरान दिल्ली में इतनी तबाही मची कि शेष बचे लोग भुखमरी से मरने लगे। तैमूर के दिल्ली से जाने के बाद भी इस शहर को पुनर्निर्माण में 100 साल लग गए।

मल्लिकार्जुन खरगे का तैमूर लंग से भाजपा की तुलना 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बयान भाजपा की नीतियों को लेकर एक तीखा हमला था। उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को तैमूर लंग की बर्बरता से जोड़ा, यह दिखाने के लिए कि भाजपा अपनी सत्ता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। खरगे ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार न केवल विपक्षी दलों का शोषण करती है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान की भी अनदेखी करती है। उनका कहना था कि जिस तरह तैमूर ने दिल्ली में लोगों का नरसंहार किया, उसी तरह भाजपा देश में अपनी राजनीतिक ताकत का दुरुपयोग कर रही है।

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