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तालिबान का महिलाओं को लेकर नया तुगलकी फरमान जारी, चेहरा दिखा या किसी से बातचीत की तो उधेड़ दी जाएगी चमड़ी!

Taliban's new decree: ban on women's voices and faces

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार ने महिलाओं के खिलाफ एक नया और कड़ा कानून लागू किया है, जो उनकी स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों को लगभग खत्म करने जैसा ही है।  इस नए तालिबानी फरमान के तहत, अब महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर न तो बात कर सकती हैं और न ही अपना चेहरा दिखा सकती हैं। बताया जा रहा है कि यह कानून नैतिकता को बढ़ावा देने के नाम पर लागू किया गया है और हाल ही में तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मंजूरी के बाद लागू हुआ।

114 पन्नों का एक दस्तावेज जारी

तालिबान ने हाल ही में 114 पन्नों का एक दस्तावेज जारी किया है, जिसमें 35 अनुच्छेदों के माध्यम से बुरे और अच्छे गुणों के कानूनों पर विस्तार से चर्चा की गई है। यह पहली बार है जब तालिबान ने इस तरह के नियमों को औपचारिक रूप से जारी किया है। मंत्रालय के प्रवक्ता मौलवी अब्दुल गफर फारूक ने इस कानून के समर्थन में प्रेस वार्ता की और दावा किया कि यह इस्लामी कानूनों के अनुसार सद्गुणों को बढ़ावा देगा और बुराई को खत्म करेगा।

शरीर को पूरी तरह से ढंकना अनिवार्य 

नए नियमों के तहत, महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर अपने शरीर को पूरी तरह से ढंकना अनिवार्य कर दिया गया है। चेहरा ढंकना भी आवश्यक कर दिया गया है और महिलाएं अब चटक रंग के कपड़े नहीं पहन सकेंगी। इसके अलावा, महिलाओं की आवाज़ पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। अनुच्छेद 13 के अनुसार, महिलाओं को गाने, जोर से बोलने या सार्वजनिक स्थानों पर किसी प्रकार की आवाज़ निकालने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

महिलाओं की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया

तालिबान की सरकार के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति में लगातार गिरावट आई है। तालिबान ने पहले भी शिक्षा, रेडियो स्टेशनों, और ब्यूटी पार्लरों को बंद करने जैसे फरमान जारी किए थे। अब, महिलाओं की आवाज़ और चेहरा दिखाने पर प्रतिबंध लगाकर, तालिबान ने अपनी सख्त नीतियों को और अधिक कठोर बना दिया है।

कोड़े मारने और पत्थरों से मारकर मौत देने की भी घोषणा

तालिबान प्रमुख मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा ने व्यभिचार के आरोप में महिलाओं को सरेआम कोड़े मारने और पत्थरों से मारकर मौत देने की भी घोषणा की थी। तालिबान के ये कड़े कदम मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखे जा रहे हैं, जबकि तालिबान ने सत्ता में आने से पहले उदारता का वादा किया था।

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