कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वालो के लिए खुशखबरी है। पांच साल से बंद इस यात्रा को फिर से शुरू करने की उम्मीद जगी है। ब्राजील में हुए G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मुलाकात में इस बारे में बातचीत हुई है। जिसने इस यात्रा के पुनः आरंभ होने की संभावनाओं को बल दिया है।
G-20 में हुई अहम मुलाकात
ब्राजील में हुए G-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात हुई। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई। इनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें शुरू करना और सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करना शामिल है।
यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ सालों से भारत और चीन के रिश्तों में तनाव बना हुआ था। लेकिन अब दोनों देश अपने रिश्तों को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की अहमियत
कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह यात्रा हर साल जून से सितंबर तक होती थी। इसके दो रास्ते हैं – एक उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से और दूसरा सिक्किम के नाथू ला दर्रे से। लेकिन 2019 के बाद से यह यात्रा बंद है। पहले कोविड महामारी की वजह से और फिर भारत-चीन सीमा पर तनाव की वजह से यह यात्रा नहीं हो पाई।
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है और मानसरोवर झील 15,015 फीट की ऊंचाई पर स्थित है इसका भी अपना धार्मिक महत्वा ऐसा माना जाता है की भगवान शिव यही पर स्नान करते हैं। इस यात्रा न सिर्फ धार्मिक महत्व है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों की आजीविका भी जुड़ी हुई है। यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोग इससे अपनी साल भर की कमाई कर लेते थे।
व्यापर के लिए होगा महत्वपूर्ण
दोनों देशों के बीच व्यापार को भी बढ़ावा मिल सकता है। पहले भारत के व्यापारी तिब्बत की तकलाकोट मंडी में जाकर व्यापार करते थे। अगर यात्रा फिर से शुरू होती है तो इस व्यापार को भी नया जीवन मिल सकता है।