हिंदी विवाद

ED की रेड के बाद भड़के केंद्रीय मंत्री, बोले- स्टालिन सरकार कर रही है ध्यान भटकाने की साजिश!

तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र जबरदस्ती हिंदी थोप रहा है और परिसीमन में गड़बड़ी कर रहा है। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि तमिलनाडु हिंदी का अपमान कर रहा है। दोनों पक्षों की तरफ से लगातार तीखी बयानबाजी हो रही है।

यह विवाद तब और बढ़ गया जब हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तमिलनाडु में कई जगह छापेमारी की। इसके बाद केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्य के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर निशाना साधा।

रेड्डी ने कहा कि स्टालिन सरकार को सत्ता में आए चार साल हो चुके हैं, लेकिन उनके पास दिखाने के लिए कोई खास उपलब्धि नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बेवजह विवाद खड़ा कर रही है।

उन्होंने आगे कहा कि स्टालिन सरकार भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था की विफलता और बिजली व टैक्स की बढ़ती दरों जैसी समस्याओं को नहीं संभाल पा रही है, जिससे जनता परेशान हो रही है।

ईडी की छापेमारी पर बवाल

ईडी की टीमों ने हाल ही में डीएमके नेता और तमिलनाडु के आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी और उनके करीबी लोगों के ठिकानों पर छापा मारा था। इनमें उनके रिश्तेदार और दोस्त भी शामिल थे। कुल 10 जगहों पर यह छापेमारी की गई थी, जो मनी लॉन्ड्रिंग के मामले से जुड़ी थी। इस बीच, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु में शराब सप्लाई करने वाली कंपनियों पर ईडी की छापेमारी से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है। इस जांच में 1,000 करोड़ रुपये की रिश्वत से जुड़े दस्तावेज मिले हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति गलत तरीके से किया जा रहा पेश  

केंद्रीय मंत्री ने डीएमके पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि 1986 की शिक्षा नीति में भी त्रिभाषा फार्मूला शामिल था, लेकिन NEP 2020 ने गैर-हिंदी भाषी लोगों को ज्यादा विकल्प और लचीलापन दिया है।

रेड्डी ने कहा कि तमिलनाडु जैसे राज्यों में शिक्षा को लेकर केंद्र सरकार की नीति कांग्रेस पार्टी के दोहरे रवैये को दिखाती है। 1986 की शिक्षा नीति कांग्रेस ने बनाई थी, जिसमें हिंदी को तीसरी भाषा और संपर्क भाषा के रूप में बढ़ावा दिया गया था। इसके बावजूद, डीएमके ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन कर लिया।

उन्होंने यह भी साफ किया कि NEP 2020 किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपती है। यह पूरी तरह से राज्यों, क्षेत्रों और छात्रों पर निर्भर करता है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं चुनते हैं, जिनमें से कम से कम दो भारतीय भाषाएं होनी चाहिए।

परिसीमन को लेकर चिंता

तमिलनाडु के लगभग सभी राजनीतिक दल परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे तमिल लोगों को नुकसान होगा और उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। इसी मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पहले ही साफ कर चुके हैं कि दक्षिणी राज्यों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।

 

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