बिहार की राजनीति में यादव-मुस्लिम समीकरण की अहमियत को समझते हुए तेजस्वी यादव ने हाल ही में अपनी रैलियों में यादव समुदाय से सीधे संवाद करना शुरू कर दिया है। मधुबनी की एक रैली में उन्होंने खुलकर यादव समाज से पांच बड़ी अपील की। इन अपीलों के जरिए तेजस्वी ने साफ कर दिया कि अगर आरजेडी को सत्ता में वापसी करनी है तो यादवों को अपनी भूमिका और सोच में बदलाव लाना होगा।
1. सामंती नहीं, समाजवादी बनें
तेजस्वी ने रैली के दौरान कहा कि कुछ यादव सामंती रवैया अपनाते हैं, जिससे पूरी कौम बदनाम होती है। उन्होंने समझाया कि समाजवादी सोच अपनाकर ही सबको साथ लेकर चलना संभव है। तेजस्वी का इशारा साफ था कि सत्ता में आने के लिए समाज के हर वर्ग को साथ लेना जरूरी है।
2. दलित-मुसलमानों से रिश्ते मजबूत करें
तेजस्वी ने खासतौर पर यादवों को दलित और मुसलमानों से रिश्ते बेहतर बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर यादव दलितों और मुसलमानों से दूरी बनाएंगे, तो आरजेडी का मजबूत वोट बैंक कमजोर हो जाएगा। बिहार में यादव 14% और मुसलमान 17% हैं, और इन्हीं के गठजोड़ पर आरजेडी का भविष्य टिका है।
3. जाति के नाम पर अहंकार छोड़ें
तेजस्वी ने यादव समुदाय से अपील की कि वे जाति के नाम पर घमंड न करें। उन्होंने कहा कि जातीय राजनीति को सकारात्मक दिशा में ले जाना होगा, वरना इसका फायदा विरोधी दल उठा सकते हैं।
4. एआईएमआईएम और सीमांचल की चुनौती से सतर्क रहें
तेजस्वी ने सीमांचल क्षेत्र की स्थिति पर भी बात की, जहां मुसलमान वोटर्स ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का समर्थन किया। 2020 के चुनाव में एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीती थीं, जिनमें से 4 विधायक बाद में आरजेडी में शामिल हो गए। तेजस्वी ने यादवों से अपील की कि वे मुसलमानों के साथ बेहतर तालमेल बनाएं ताकि वोटों का बंटवारा न हो।
5. समाज में सहिष्णुता बढ़ाएं
तेजस्वी ने यादवों को सहिष्णु बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सहिष्णुता से ही समाज के हर वर्ग का समर्थन मिलेगा और आरजेडी सत्ता में वापस आ पाएगी।
2020 के चुनाव में 12 सीटों से चूके तेजस्वी
2020 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी गठबंधन ने 110 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एनडीए को 126 सीटें मिली थीं। महज 12 सीटों के अंतर से आरजेडी सत्ता से बाहर रह गई। मधुबनी, बिस्फी और केवटी जैसी सीटों पर यादव-मुस्लिम गठजोड़ कमजोर होने की वजह से आरजेडी को हार का सामना करना पड़ा।
यादवों के लिए यह संदेश क्यों जरूरी?
तेजस्वी यादव का यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल के वर्षों में यादव वोटरों का एक हिस्सा आरजेडी से खिसकता नजर आया है। वहीं, मुस्लिम वोट बैंक पर भी कई दलों की नजर है। ऐसे में तेजस्वी की ये पांच अपील उनकी रणनीति का हिस्सा है, जिससे यादव-मुस्लिम समीकरण को मजबूत किया जा सके।
क्या है तेजस्वी की चुनौती?
तेजस्वी यादव को न केवल यादवों और मुसलमानों को एकजुट रखना है, बल्कि अन्य जातियों का भी समर्थन हासिल करना है। उनकी ‘ए टू जेड’ राजनीति का यही मकसद है कि हर वर्ग को साथ लेकर चला जाए। लेकिन आरजेडी के कोर वोट बैंक यानी यादव और मुसलमानों को साधे रखना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
आरजेडी के लिए आगे का रास्ता
तेजस्वी यादव की यह रणनीति बताती है कि वे 2025 के चुनावों के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। वे अपने कोर वोटर्स को मजबूत करने के साथ ही नई जातियों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अगर उनकी अपील असर करती है, तो आरजेडी को एक बार फिर सत्ता में आने का मौका मिल सकता है।