तेजस्वी जायसवाल ने 7 साल बाद क्रिकेट में की वापसी, भाई यशस्वी के लिए किया था बड़ा त्याग
Tejasvi Jaiswal comeback: भारत के स्टार बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने अपनी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत से ही ढेर सारी उपलब्धियां हासिल की हैं। वह आज भारतीय क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा बन चुके हैं, और उनके प्रदर्शन से हर कोई प्रभावित है। टेस्ट और टी20 क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने के बाद, यशस्वी ने अब तक का अपना सबसे बड़ा सपना पूरा किया—ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाकर भी भारतीय टीम में अपनी जगह साबित करना। लेकिन इस सफर में एक व्यक्ति है जिसने खुद को पूरी तरह से एक तरफ कर दिया था ताकि यशस्वी का सपना पूरा हो सके। वह व्यक्ति हैं, यशस्वी के बड़े भाई तेजस्वी जायसवाल।
तेजस्वी ने अपनी क्रिकेट यात्रा को बीच में छोड़ दिया था, लेकिन अब सात साल बाद वह वापसी कर चुके हैं। त्रिपुरा क्रिकेट टीम के लिए रणजी ट्रॉफी में उन्होंने अपना पहला फर्स्ट क्लास अर्धशतक लगाया है, और इस सफलता के बाद उनके छोटे भाई यशस्वी ने उन्हें एक खास संदेश भेजा है जो हर किसी के दिल को छू जाता है।
तेजस्वी ने क्यों छोड़ा क्रिकेट?
यशस्वी और तेजस्वी का सफर बहुत ही कठिन था। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में एक छोटे से परिवार में जन्मे दोनों भाइयों का क्रिकेट के प्रति प्यार बहुत गहरा था। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि दोनों एक साथ क्रिकेट में अपनी पहचान बना पाते। इसलिए 2012 में, जब दोनों भाई मुंबई आए, तो उन्होंने वहां के आजाद मैदान में क्रिकेट खेलने की शुरुआत की।
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मुंबई में उनके पास कोई बड़ा सहारा नहीं था। दोनों भाइयों ने ग्राउंड्समैन के टेंट में काम करके अपना गुजारा किया। लेकिन जब यह सामने आया कि एक ही समय में केवल एक ही भाई क्रिकेट को आगे बढ़ा सकता है, तो तेजस्वी ने खुद ही यशस्वी के सपनों के लिए अपनी क्रिकेट यात्रा को छोड़ दिया। उन्होंने तय किया कि उनका भाई यशस्वी क्रिकेट में आगे बढ़े और उनका सपना पूरा हो।
तेजस्वी के लिए यह फैसला आसान नहीं था, क्योंकि वह खुद क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन परिवार के लिए उन्होंने अपना सपना पीछे छोड़ दिया और दिल्ली में एक सजावटी लाइट की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। यही नहीं, तेजस्वी ने यशस्वी को पैसों की मदद भी भेजी ताकि वह अपने क्रिकेट के सपने को पूरा कर सके। इसके साथ ही, तेजस्वी ने अपनी दो बहनों की शादी भी करवाई। यशस्वी के लिए यह परिवार का बहुत बड़ा बलिदान था, जो आज वह हमेशा याद करते हैं और अपनी सफलता के लिए धन्यवाद देते हैं।
मुंबई में क्रिकेट खेलते समय तेजस्वी को एक और बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। उन्हें उम्र धोखाधड़ी के आरोपों का सामना करना पड़ा, जिससे उनका क्रिकेट करियर लगभग रुक गया। तेजस्वी खुद बताते हैं, “मैंने हैरिस शील्ड में शानदार प्रदर्शन किया था और सात विकेट लिए थे, लेकिन इसके बाद मेरी उम्र को लेकर सवाल उठाए गए। इसके बाद मैं डेढ़ साल तक बेंच पर बैठा रहा। इस दौरान यशस्वी काफी अच्छा खेल रहा था, और मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से उसकी उम्मीदों पर असर पड़े।”
इस दौरान, दोनों भाइयों को आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ा था। मुंबई में रहकर दोनों के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा था। इस स्थिति में, यशस्वी के कोच ज्वाला सर का सपोर्ट बहुत अहम साबित हुआ।
तेजस्वी की वापसी – सात साल बाद क्रिकेट में धमाका
जब यशस्वी को आईपीएल में कॉन्ट्रैक्ट मिला और परिवार की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई, तो तेजस्वी का जीवन भी आसान हो गया। हालांकि, इस बीच यशस्वी ने उन्हें एक बार फिर क्रिकेट में वापसी करने के लिए प्रेरित किया। यशस्वी की प्रेरणा से तेजस्वी ने अपना कड़ा परिश्रम शुरू किया और त्रिपुरा क्रिकेट टीम में शामिल होने का फैसला किया।
वह 2014 से 2021 तक क्रिकेट से दूर रहे, लेकिन फिर त्रिपुरा में जाकर उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया, लोकल क्रिकेट में हिस्सा लिया और बेहतर प्रदर्शन करते हुए त्रिपुरा की रणजी टीम में अपनी जगह बनाई। त्रिपुरा के खिलाफ अपने पहले रणजी मैच में अर्धशतक लगाकर उन्होंने साबित कर दिया कि उनका क्रिकेट में अभी भी दम है।
यशस्वी का दिल छूने वाला संदेश
तेजस्वी की क्रिकेट में वापसी पर यशस्वी ने उन्हें एक खास संदेश भेजा। यशस्वी ने लिखा, “तूने सब कुछ छोड़ दिया, अपना सपना त्याग दिया और हमारे परिवार के लिए बहुत कुछ किया। अब तेरा वक्त है, इसका पूरा आनंद ले।” यशस्वी का यह संदेश न केवल तेजस्वी के लिए, बल्कि उनके पूरे परिवार के संघर्ष और बलिदान को सलाम करता है।
तेजस्वी को यह बहुत गर्व महसूस होता है जब लोग उन्हें कहते हैं, “देखो, यह तो यशस्वी जायसवाल का बड़ा भाई है!” त्रिपुरा में उनके अच्छे प्रदर्शन के बाद उनकी पहचान केवल यशस्वी के भाई के तौर पर नहीं, बल्कि एक क्रिकेटर के रूप में भी होने लगी है। तेजस्वी की यह वापसी उनकी मेहनत, परिवार के समर्थन और यशस्वी के प्रेरणादायक शब्दों का नतीजा है।
तेजस्वी और यशस्वी की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। यह कहानी है एक भाई के त्याग और संघर्ष की, और दूसरे भाई की सफलता की। यशस्वी की सफलता में तेजस्वी का बड़ा हाथ है, और आज जब तेजस्वी ने क्रिकेट में वापसी की है, तो यह साबित करता है कि कोई भी संघर्ष कभी बेकार नहीं जाता। इस सफर में यशस्वी का प्यार और समर्थन ही था जिसने तेजस्वी को फिर से मैदान पर लौटने का हौसला दिया।