तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के करीबी साथी और राज्य सरकार के प्रमुख, ए. रेवंत रेड्डी, ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। शनिवार को, जब गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने 2025 के पद्म पुरस्कार विजेताओं की सूची का ऐलान किया, तो रेवंत रेड्डी ने तीव्र असंतोष व्यक्त किया। उनका कहना था कि तेलंगाना राज्य के सम्मान में केंद्र ने जो कदम उठाए हैं, वह राज्य के 4 करोड़ लोगों का अपमान करने वाले हैं। मुख्यमंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि राज्य सरकार द्वारा जो नाम पद्म पुरस्कारों के लिए भेजे गए थे, उनका उचित सम्मान नहीं किया गया। रेवंत रेड्डी के अनुसार, यह “भेदभाव” सिर्फ तेलंगाना के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी है जो राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे थे।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की नाराजगी और सरकार की सिफारिशें
तेलंगाना सरकार ने जिन हस्तियों के नाम पद्म पुरस्कारों के लिए केंद्र को भेजे थे, उनका चयन न होने को लेकर मुख्यमंत्री ने अपना गुस्सा जाहिर किया। इनमें लोक गायक और गीतकार गद्दार का नाम था, जिनके लिए पद्म विभूषण की सिफारिश की गई थी। इसके अलावा, शिक्षाविद् चुक्का रमैया और कवि एंडी श्री जैसे नाम भी थे, जिन्हें पद्म भूषण के लिए नामित किया गया था।
कवियित्री गोराती वेंकन्ना और कवि व इतिहासकार जयधीर तिरुमाला को पद्म श्री के लिए सिफारिश किया गया था, लेकिन इन नामों पर भी केंद्र सरकार ने विचार नहीं किया। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बैठक में यह बयान दिया कि इस तरह के निर्णय तेलंगाना की 4 करोड़ जनता का अपमान करते हैं और यह राज्य के प्रति केंद्र सरकार की नापसंदगी को दर्शाता है। रेवंत रेड्डी के बयान में यह भी आया कि राज्य सरकार की सिफारिशों के बावजूद, केंद्र ने इन नामों पर विचार नहीं किया और इस पर प्रतिक्रिया के रूप में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने पर विचार कर रहे हैं। तेलंगाना सरकार ने स्पष्ट तौर पर यह संकेत दिया है कि यह कदम राज्य के सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान को नजरअंदाज करने जैसा है।
पद्म पुरस्कारों में क्या नाम थे?
हर साल की तरह, केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की थी। इस साल कुल 139 लोगों को सम्मानित किया गया। इनमें से 23 महिलाएं हैं और 13 व्यक्तियों को मरणोपरांत पद्म पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। इस सूची में कई प्रसिद्ध और सम्मानित नाम थे, जिनमें दक्षिण भारतीय सिनेमा के बड़े सितारे और अन्य क्षेत्रीय कलाकारों का नाम भी शामिल था। पद्म विभूषण, जो भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है, इस बार गायिका शारदा सिन्हा, वॉयलिनिस्ट और कंपोजर डॉक्टर लक्ष्मीनारायण सुब्रह्मण्यम, और गुजरात की कुमुदिनी रजनीकांत लखिया को मिला। इसके अलावा, साउथ फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण और अजित कुमार को भी पद्म भूषण से नवाजा गया।
तेलंगाना को फिर क्यों हुआ नजरअंदाज?
तेलंगाना सरकार ने जिन नामों की सिफारिश की थी, उनका न मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है। रेवंत रेड्डी ने यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने तेलंगाना के सांस्कृतिक और सामाजिक योगदानों को नजरअंदाज किया है। इन नामों में गद्दार, जो एक प्रसिद्ध लोक गायक और गीतकार हैं, का नाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। उनका योगदान न केवल तेलंगाना के संगीत में बल्कि भारतीय लोक संगीत में भी महत्वपूर्ण रहा है। इसके अलावा, चुक्का रमैया, जो एक मशहूर शिक्षाविद हैं, और कवि एंडी श्री, जिनकी कविताओं ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है, का नाम भी सूची से बाहर रह गया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह न केवल राज्य के बल्कि पूरे समाज का अपमान है।
क्या यह भेदभाव है?
मुख्यमंत्री का कहना है कि केंद्र सरकार का यह कदम केवल तेलंगाना के साथ ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के साथ भी भेदभावपूर्ण हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो राज्य सरकार अपनी आवाज़ उठाने के लिए और सख्त कदम उठाएगी। राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार ने सिर्फ चुनिंदा राज्यों के योगदान को पहचाना है, जबकि तेलंगाना ने शिक्षा, कला, साहित्य, और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने यह भी कहा कि तेलंगाना का नाम सम्मानित करने के लिए केंद्र को फिर से विचार करना चाहिए।
पद्म पुरस्कारों का क्या महत्व है?
पद्म पुरस्कारों को भारतीय समाज में नागरिकों के योगदान को पहचानने का सबसे बड़ा और सम्मानित तरीका माना जाता है। ये पुरस्कार उन लोगों को दिए जाते हैं जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया हो, जैसे कला, साहित्य, खेल, चिकित्सा, विज्ञान, और सामाजिक कार्य। हालांकि, इन पुरस्कारों के लिए चयन प्रक्रिया को लेकर हमेशा विवाद उठते रहते हैं। इस साल भी तेलंगाना राज्य का नाम न होने को लेकर विवादों का माहौल बन गया है।
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