India-china relations

भारत-चीन संबंधों में बर्फ पिघलने की शुरुआत? रक्षा मंत्रियों की बैठक पर बड़ा दांव!

भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव में एक नया मोड़ आ गया है। दोनों देशों के रक्षा मंत्री जल्द ही मुलाकात करने वाले हैं। यह खबर ऐसे समय में आई है जब पिछले महीने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटने का फैसला किया था। इस मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

रक्षा मंत्रियों की मुलाकात: क्या है पूरा मामला?

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) अपने चीनी समकक्ष डोंग जून (Dong Jun) से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात लाओस में 20 नवंबर से शुरू होने वाले दो दिवसीय 10-राष्ट्रों के आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान होगी। यह अप्रैल 2023 के बाद पहली बार होगा जब दोनों देशों के रक्षा मंत्री एक-दूसरे से मिलेंगे।

इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह बैठक दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ाने में मदद कर सकती है। पिछले कुछ सालों में भारत और चीन के रिश्तों में काफी तनाव रहा है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ गए थे।

क्या सुधर रहे हैं भारत-चीन के रिश्ते?

पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के संकेत दिखे हैं। पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। इसके बाद से दोनों देशों के बीच कई उच्च स्तरीय बैठकें हुई हैं।

हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख से पीछे हटने का फैसला किया। इसके बाद भारत ने देपसांग क्षेत्र में गश्त फिर से शुरू कर दी है। यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

दिवाली के मौके पर दोनों देशों की सेनाओं ने मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया। यह भी दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार का एक संकेत माना जा रहा है।

आगे क्या होगा?

अभी यह कहना मुश्किल है कि आने वाले समय में भारत और चीन के रिश्तों में क्या बदलाव आएंगे। लेकिन रक्षा मंत्रियों की यह मुलाकात दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।

हालांकि, कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। पिछले चार सालों में चीन ने सीमा पर काफी सैन्य निर्माण किया है। उसने नए ठिकाने बनाए हैं और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। इससे भारत के लिए चिंता बढ़ी है।

फिर भी, दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला जारी है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में और भी उच्च स्तरीय बैठकें हो सकती हैं। इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में और सुधार आ सकता है।