महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बेहद खराब है। ये हम नहीं रिपोर्ट कह रही है। रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में डॉक्टर्स और नर्स की बहुत ज्यादा कमी है। कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल यानी कैग ने अपनी रिपोर्ट में महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के तहत स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के हर स्तर पर मानव संसाधन की कमी और बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ को लेकर चिंता जताई है।
महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल
बता दें कि कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल यानी कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सुविधाएं आबादी के हिसाब बेहद कम है। कैग ने कहा कि आबादी को पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए मजबूत स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और सेवाओं की आवश्यकता होती है। बता दें कि वर्ष 2023-2024 के लिए यह रिपोर्ट शनिवार को विधानसभा में पेश की गई है। जिसके बाद महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति सबसे सामने आई है।
डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी
कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल यानी कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि राज्य स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों, नर्सों और पैरामेडिकल कर्मियों की 22 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 29 प्रतिशत कमी है। वहीं स्पेशल डॉक्टरों के कैडर में यह कमी 42 प्रतिशत है। कैग ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल कर्मियों की कुल कमी 27 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 31 प्रतिशत है।
अस्पतालों में डॉक्टरों की सीट खाली
महाराष्ट्र में डॉक्टरों की सीट भी खाली है। ऑडिटर जनरल ने रिपोर्ट में बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग के अंतर्गत आने वाले ‘ट्रॉमा केयर सेंटर’ में 23 प्रतिशत और 44 प्रतिशत रिक्तियां हैं। वहीं कैग ने कहा कि आयुष कॉलेजों और अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल कर्मियों के 1 प्रतिशत, 57 प्रतिशत और 55 प्रतिशत पद रिक्त जगह है.
अस्पताल में लोगों की गई जान
गौरतलब है कि हाल ही में महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से स्वास्थ्य व्यवस्था खराब होने की वजह से लोगों की जान जाने की खबर सामने आई है। जिसके बाद यह सवाल उठने लगा था कि महाराष्ट्र की स्वस्थ्य व्यवस्था को ठीक किया जाना जरूरी है। अब देखना ये है कि महाराष्ट्र की नई महायुति गठबंधन की सरकार के सीएम बदलने से महाराष्ट्र में क्या बदलता है। क्योंकि महाराष्ट्र के लोगों का भी कहना है कि सरकारी अस्पताल में उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना काफी महंगा है।