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खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या की साजिश: FBI ने पूर्व RAW अधिकारी पर लगाया आरोप

FBI ने भारत के पूर्व रॉ अधिकारी विकास यादव को 'wanted' किया घोषित

who is vikash yadav: अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI ने पूर्व RAW अधिकारी विकास यादव को खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में वांटेड घोषित किया है। विकास यादव का नाम अब FBI की ‘वांटेड’ लिस्ट में शामिल कर दिया गया है, और एजेंसी ने उनका पोस्टर भी जारी किया है।

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि विकास यादव ने पन्नू की हत्या की साजिश रची थी, जिसका उद्देश्य अमेरिका में ही उसे मारना था। यह साजिश उस समय रची गई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर थे। विकास यादव पर हत्या के लिए सुपारी देने और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं।

अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस मामले में 18 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें विकास यादव का नाम ‘CC-1’ (सह-साजिशकर्ता) के रूप में दर्ज किया गया है। इसके अलावा, विकास यादव के साथी निखिल गुप्ता को चेक रिपब्लिक से गिरफ्तार कर अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया है, और वह फिलहाल अमेरिकी जेल में बंद हैं।

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FBI ने वांटेड लिस्ट में डाला Vikash Yadav का नाम

FBI द्वारा जारी किया गया वांटेड पोस्टर

FBI ने विकास यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट 10 अक्टूबर को जारी किया था। साथ ही, एजेंसी ने विकास यादव के तीन तस्वीरों वाला ‘WANTED’ पोस्टर भी जारी किया है। यादव को “विकास” और “अमानत” नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने खुद को एक ‘सीनियर फील्ड ऑफिसर’ बताया है, जिनकी जिम्मेदारियों में ‘सुरक्षा प्रबंधन’ और ‘खुफिया जानकारी’ शामिल हैं। विकास यादव पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में सहायक कमांडेंट रह चुके हैं।

अमेरिकी अदालत ने कहा है कि विकास यादव और निखिल गुप्ता ने 2023 की गर्मियों में खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत पन्नू की हत्या की योजना बनाई थी। उन्हें एक शख्स को 100,000 अमेरिकी डॉलर की सुपारी देने का प्रस्ताव दिया गया, साथ ही 15,000 डॉलर की एडवांस राशि भी दी गई। हालाँकि, वह शख्स FBI का मुखबिर निकला, जिससे उनकी पूरी साजिश नाकाम हो गई।

भारत ने पन्नू को आतंकवादी घोषित किया है

गुरपतवंत सिंह पन्नू को भारत ने आतंकवादी घोषित किया है, और वह वर्तमान में अमेरिका की नागरिकता रखता है। अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) के मुताबिक, विकास यादव इस पूरे मामले के दौरान भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत थे। यह सचिवालय भारत की विदेशी इंटेलिजेंस सर्विस, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का काम देखता है।

अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक बी गार्लैंड ने इस मामले पर कहा, “चाहे वो कोई भी व्यक्ति हो, सत्ता-प्रतिष्ठान के कितना भी करीब हो, अगर वो अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुंचाना चाहता है या उन्हें चुप कराना चाहता है तो जस्टिस डिपार्टमेंट कड़े से कड़े कदम उठाएगा।”

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असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल मैथ्यू जी ओसलेन ने भी चेतावनी दी कि जो भी सरकारें अमेरिका में इस तरह के किसी भी योजना पर विचार कर रही हैं, उन्हें तितर-बितर कर दिया जाएगा और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।

भारत ने कहा इससे हमारा कोई लेना देना नहीं

वहीं भारत सरकार ने इस मामले में अपनी संलिप्तता से इंकार किया है और अमेरिकी अधिकारियों को पूरी सहायता देने का आश्वासन दिया है। भारतीय जांच एजेंसियां भी इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं। अमेरिका ने भी भारत की सहायता पर संतोष व्यक्त किया है। हाल ही में भारत की एक जांच टीम अमेरिका गई थी, जहां FBI, अमेरिकी लॉ डिपार्टमेंट और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक हुई।

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