How Much British Looted From India

भारत का खजाना कैसे खाली कर गए अंग्रेज? आंकड़े जानकर रह जाएंगे दंग

How Much British Looted From India: भारत में ब्रिटिश राज के 200 साल देश के लिए बहुत कष्टदायक रहे। इस दौरान न सिर्फ भारतीयों की आजादी छीन ली गई, बल्कि देश की संपत्ति और संसाधनों का भी जमकर दोहन किया गया। कई इतिहासकारों और अर्थशास्त्रियों ने अपने शोध में यह साबित किया है कि अंग्रेजों ने भारत से करोड़ों-अरबों रुपये की संपत्ति लूटी। इनमें सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा प्रसिद्ध अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक का है, जिन्होंने अपने शोध में पाया कि ब्रिटिश शासन ने भारत से करीब 45 लाख करोड़ डॉलर (45 Trillion Dollar) की संपत्ति लूटी। आइए जानते हैं कि कैसे हुआ यह महालूट और इसका क्या असर पड़ा (Indian Economy) भारत की अर्थव्यवस्था पर।

How Much British Looted From India

ब्रिटिश राज में भारत से धन की लूट कैसे हुई?

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आने के बाद से ही यहां से धन की लूट शुरू हो गई थी। शुरुआत में कंपनी ने व्यापार के नाम पर भारतीय वस्तुओं को सस्ते दामों पर खरीदकर यूरोप में महंगे दामों पर बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे कंपनी ने भारत के कई हिस्सों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया और फिर शुरू हुआ भारत के धन का सिस्टमैटिक तरीके से शोषण।

1765 में बंगाल, बिहार और ओडिशा की दीवानी मिलने के बाद कंपनी ने इन क्षेत्रों से भारी मात्रा में टैक्स वसूलना शुरू किया। इस टैक्स का एक बड़ा हिस्सा सीधे इंग्लैंड भेज दिया जाता था। साथ ही भारतीय किसानों को मजबूर किया गया कि वे नकदी फसलें उगाएं, जिन्हें कम दामों पर खरीदकर यूरोप में ऊंचे दामों पर बेचा जा सके।

19वीं सदी के मध्य तक आते-आते भारत पूरी तरह से ब्रिटिश साम्राज्य का गुलाम बन चुका था। इस दौरान भारत से धन निकालने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए गए:

  • – भारी मात्रा में लगान और टैक्स वसूली
  • – भारतीय उद्योगों को नष्ट करके ब्रिटिश माल का आयात
  • – भारतीय कच्चे माल का सस्ते दामों पर निर्यात
  • – भारत में रेलवे और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भारी ब्याज वसूली
  • – भारतीय सैनिकों का इस्तेमाल कर अन्य देशों पर कब्जा और वहां से लूट

इन सभी तरीकों से भारत का धन लगातार इंग्लैंड की तिजोरियों में जमा होता रहा। उत्सा पटनायक के अनुसार 1765 से 1938 के बीच भारत से कुल 9.2 ट्रिलियन पाउंड (लगभग 45 ट्रिलियन डॉलर) की संपत्ति ब्रिटेन ले गया। यह रकम आज के ब्रिटेन की GDP से 15 गुना ज्यादा है।

अंग्रेजों की इस लूट का भारत पर गहरा असर पड़ा। 18वीं सदी की शुरुआत में भारत की हिस्सेदारी विश्व अर्थव्यवस्था में 23% थी, जो आजादी के समय घटकर महज 3% रह गई। भारत का औद्योगिक उत्पादन 1750 में दुनिया के 25% से घटकर 1900 में 2% रह गया।

How Much British Looted From India

भारत की अर्थव्यवस्था पर इस लूट का क्या असर पड़ा?

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत से इतनी बड़ी मात्रा में धन निकाल लिए जाने का देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा। जो देश कभी सोने की चिड़िया कहलाता था, वह गरीबी और भुखमरी का शिकार हो गया। इस लूट के कुछ प्रमुख परिणाम इस प्रकार रहे:

  • • भारतीय उद्योगों का पतन: ब्रिटिश नीतियों के कारण भारत के पारंपरिक उद्योग-धंधे चौपट हो गए। खासकर कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान हुआ। लाखों बुनकर और कारीगर बेरोजगार हो गए।
  • • कृषि का व्यावसायीकरण: किसानों को नकदी फसलें उगाने के लिए मजबूर किया गया, जिससे खाद्यान्न की कमी हुई और अकाल पड़े।
  • • गरीबी और भुखमरी: भारी करों और शोषण के कारण आम लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। 1943 के बंगाल अकाल में लाखों लोग भूख से मर गए।
  • • औद्योगीकरण का अभाव: भारत से निकाला गया पैसा ब्रिटेन के विकास में लगा, जबकि भारत पिछड़ता गया।
  • • आर्थिक निर्भरता: भारत ब्रिटिश माल का बाजार और कच्चे माल का स्रोत बनकर रह गया।

दादाभाई नौरोजी जैसे अर्थशास्त्रियों ने इस धन के बहिर्गमन को ‘वेल्थ ड्रेन’ यानी संपत्ति का रिसाव कहा। उनका मानना था कि अगर यह धन भारत में ही रहता तो देश का तेजी से विकास हो सकता था।

How Much British Looted From India

क्या ब्रिटेन को यह धन लौटाना चाहिए?

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत से जो धन लूटा गया, उसे वापस पाने की मांग समय-समय पर उठती रही है। कई लोगों का मानना है कि ब्रिटेन को भारत को मुआवजा देना चाहिए। लेकिन इस मामले में कई पेचीदगियां हैं:

  • – 45 ट्रिलियन डॉलर की रकम बहुत बड़ी है, जो ब्रिटेन की वर्तमान अर्थव्यवस्था से कई गुना ज्यादा है। ऐसे में इतना मुआवजा देना ब्रिटेन के लिए संभव नहीं है।
  • – ब्रिटिश सरकार इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि उन्होंने भारत से इतनी बड़ी रकम लूटी। वे इसे अपने शासन के दौरान किए गए विकास कार्यों से जोड़कर देखते हैं।
  • – कई विशेषज्ञों का मानना है कि मुआवजे की बजाय ब्रिटेन को भारत के विकास में मदद करनी चाहिए।

हालांकि इस बहस से परे यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने इतिहास को समझें और उससे सीख लें। ब्रिटिश शासन के दौरान हुए आर्थिक शोषण ने भारत को कैसे प्रभावित किया, इसे जानना जरूरी है ताकि हम अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकें और फिर कभी ऐसी स्थिति न आने दें।

ब्रिटिश शासन ने भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया। 45 ट्रिलियन डॉलर की लूट ने देश को गरीबी के गर्त में धकेल दिया। आजादी के बाद भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने और आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। लेकिन अभी भी हमें गरीबी, बेरोजगारी जैसी कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने इतिहास से सीख लें और एक मजबूत व आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में काम करें।