Su-57

सुखोई-57 का रहस्यमयी सौदा – कौन बना रूस का पहला ग्राहक? क्या भारत है लिस्ट में?

रूस के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई-57 (Su-57) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। रूस की सरकारी हथियार निर्माता कंपनी रोसोबोरोनेएक्सपोर्ट ने घोषणा की है कि उन्हें इस विमान का पहला विदेशी ऑर्डर मिल गया है। हालांकि, कंपनी ने खरीदार देश का नाम नहीं बताया है, जिससे कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। जानते हैं क्या है पूरा मामला।

Su-57 की खासियत 

सुखोई-57 (Su-57) रूस का सबसे आधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट है। यह पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जो अपनी उन्नत तकनीक और स्टील्थ क्षमताओं के लिए जाना जाता है। हाल ही में, इस विमान ने चीन के झुहाई एयर शो में अपने शानदार करतब दिखाकर दुनिया का ध्यान खींचा। यह पहली बार था जब सुखोई-57 चीन में प्रदर्शित किया गया, और इसके प्रदर्शन के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए।

रोसोबोरोनेएक्सपोर्ट के प्रमुख अलेक्जेंडर मिखीव ने कहा, “सुखोई-57 के संबंध में, हमने इस विमान के लिए पहला अनुबंध पर हस्ताक्षर कर लिए हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सैन्य तकनीक प्रणाली को नए प्रकार के हथियार और सैन्य उपकरण बाजार में लाने चाहिए। यह घोषणा रूस के लिए एक बड़ी सफलता है, क्योंकि वह लंबे समय से इस विमान को विदेशी बाजार में बेचने का प्रयास कर रहा था।

कौन है रहस्यमय खरीदार?

खरीदार देश का नाम गुप्त रखने से कई अटकलें शुरू हो गई हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अल्जीरिया सुखोई-57 का पहला विदेशी खरीदार हो सकता है। अगर यह सच है, तो इससे अफ्रीका में शक्ति संतुलन बदल सकता है और अल्जीरिया का क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ सकता है।

वहीं, कुछ लोग भारत को भी संभावित खरीदार के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, भारत ने अभी तक इस विमान से दूरी बनाए रखी है। कुछ सैन्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत को अपनी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कमी को पूरा करने के लिए सुखोई-57 खरीदने पर विचार करना चाहिए।

अन्य संभावित खरीदारों में वियतनाम और तुर्की जैसे रूस के मित्र देश भी शामिल हो सकते हैं। साल 2021 में, रोसोबोरोनेएक्सपोर्ट ने कहा था कि वे पांच देशों के संपर्क में हैं जो सुखोई-57 में रुचि रखते हैं।

अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा

इस सौदे पर एक बड़ा सवाल अमेरिकी प्रतिबंधों का भी है। रूस से बड़े हथियार खरीदने वाले देशों पर अमेरिका काटसा के अंतर्गत प्रतिबंध लगा सकता है। ऐसे में, खरीदार देश को इस जोखिम को भी ध्यान में रखना होगा।

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणा रूस का प्रचार भी हो सकता है। वे कहते हैं कि रूस अपने हथियारों की मांग दिखाने के लिए ऐसी घोषणाएं कर सकता है। हालांकि, रोसोबोरोनेएक्सपोर्ट के प्रमुख के बयान से लगता है कि यह सौदा वास्तव में हुआ है।

 

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