संसद में विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। जानकारी के मुताबिक इस अविश्वास प्रस्ताव पर अब तक 70 सांसद साइन कर चुके हैं। लेकिन सवाल ये है कि उपराष्ट्रपति को उनके पद से किन नियमों के तहत हटाया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की मांग
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए विपक्षी दल के 70 सांसद अब तक अविश्वास प्रस्ताव पर साइन कर चुके हैं। बता दें कि विपक्षी दल राज्यसभा के सभापति पर लगातार पक्षपात का आरोप लगाते हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या विपक्ष के इस प्रस्ताव के बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है?
हटाने के लिए चाहिए बहुमत
बता दें कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होता है। वहीं इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना होगा, लेकिन इस बार विपक्षी दलों के लिए ये सब इतना आसान नहीं है। क्योंकि लोकसभा में NDA के 293 और I.N.D.I.A के 236 सदस्य हैं। वहीं बहुमत का आंकड़ा 272 का है।
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के नियम
देश के उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटाया जाएगा। वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े नियम के बारे में बताया गया है। इन नियमों के तहत उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा की ओर से सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से उनके पद से हटाया जा सकता है। हालांकि किसी भी दल द्वारा प्रस्ताव पेश करने के बारे में 14 दिन पहले नोटिस भी देना होता है।
क्या कहता है संविधान
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के बारे में बताया गया है। इन नियमों के मुताबिक सबसे पहले उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा में एक प्रस्ताव लाना होगा, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित होगा। इसके लिए लोकसभा सांसदों की सहमति भी ली जाती है। इसके अलावा प्रस्ताव लाने के कम से कम 14 दिनों पहले नोटिस देना होता है। इतना ही नहीं इस नोटिस में ये भी बताना होचा है कि ऐसा प्रस्ताव लाने के पीछे इरादा क्या है। इसके अलावा प्रस्ताव को राज्य सभा में ‘प्रभावी बहुमत’ (रिक्त सीटों को छोड़कर राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों का बहुमत) के जरिये पारित किया जाना होगा।